ग़ज़ल
ये सीधा दिल से दिल का रास्ता है
मुहब्बत खूबसूरत हादसा है ।
नज़ारे दिल को अब भाते नहीं हैं
न जाने क्या ये दिल को हो गया है।
इनायत है हवाएँ साथ हैं अब
बदलते वक़्त का ये सिलसिला है
बहुत मायूस हैं अब ये फ़िज़ाएँ
किसी की लग गई क्या बद्दुआ है
ग़ज़ब की है कशिश तेरी अदा में
नहीं जँचता कोई तेरे सिवा है
लगी है दिल को जाने चोट कैसी
मिली अब तक नहीं कोई दवा है
किसी मासूम का दिल मत दुखाओ
‘किरण’ का ये सभी को मश्विरा है।