बच्चों के ध्यान की समस्या व अतिचंचलता को नजरअंदाज न करें
*ध्यानभंग एवं अतिचंचलता विकार (एडीएचडी)* मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो व्यवहार में अतिसक्रियता पैदा करता है। एडीएचडी कई समस्याओं का योग है : ध्यान बनाए रखने में कठिनाई, अति चंचलता और आवेगी व्यवहार। एडीएचडी बच्चों, किशोरों वह वयस्कों को प्रभावित करता है। एडीएचडी से ग्रस्त बच्चे अत्यधिक सक्रिय हो सकते हैं और अपने आवेगों को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। उनका व्यवहार जीवन में समस्याएं खड़ी करता है। भारत में ध्यानभंग व अतिचंचलता विकार पर किए गए अध्ययनों में 1.6 से 12.2% बच्चों में यह विकार पाया गया है जबकि दुनियाभर में 2.8% लोग ए डी एच डी से पीड़ित हैं। लड़कियों की तुलना में लड़कों में एडीएचडी अधिक होता है।
*बच्चों में एडीएचडी के लक्षण:-*
*अति चंचलता के आधार पर*
# बच्चों को खेलने में परेशानी होना
# बैठने के अवसरों पर उछल-कूद करना
# जरूरत से ज्यादा बातें करना
# निरंतर बैठे रहने में समस्या महसूस करना
# लगातार चहल कदमी करना
# जरूरत न होने पर भी वस्तुओं को छूते रहना
# हमेशा बेचैन रहना
*ध्यानभंगता के आधार पर*
# निर्देशों का पालन करने या कार्यों को पूरा करने में कठिनाई महसूस करना
# आसानी से विचलित हो जाना
# किसी काम या पढ़ाई पर ध्यान देने में कठिनाई महसूस करना
# दैनिक गतिविधियों को भूल जाना # नियमित दिनचर्या के कार्यों को ठीक से करने में समस्या महसूस करना
# समान खो देना
# दूसरों को सुनने में कठिनाई महसूस करना
*आवेगशीलता के आधार पर*
# अपनी बारी का इंतजार करने में कठिनाई महसूस करना
# दूसरे बच्चों को बार-बार परेशान करता है
*वयस्कों में एडीएचडी के लक्षण:-*
# समय प्रबंधन करने मैं कठिनाई महसूस करना
# अव्यवस्थित दिनचर्या
# आसानी से किसी भी चीज से ध्यान हट जाना
# बातें भूल जाना
# बातों में टालमटोल करना
# पढ़ने के दौरान ध्यान केंद्रित न कर पाना
# हमेशा देरी करना
# उदास रहना
# आत्म सम्मान में कमी
# जल्द ही किसी भी बात पर बेचैन हो जाना
# रिश्तो को निभाने में कठिनाई महसूस करना
# लक्ष्य निर्धारित करने और नौकरी खोजने में परेशानी होना।
# आसानी से विचलित हो जाते हैं।
# जल्दी से ऊब जाते हैं।
# जानकारी को व्यवस्थित करने की उनकी क्षमता दूसरों की तुलना में अधिक धीमी और कम सटीक होती है।
# निर्देशों का पालन करने में समस्या होती है।
*एडीएचडी के कारण:-*
*आनुवंशिकता:-* परिवार में किसी को एडीएचडी होने पर उस परिवार के बच्चों में होने की संभावना अधिक हो सकती है।
*रासायनिक असंतुलन:-* एडीएचडी से ग्रस्त लोगों के दिमाग में रसायनिक गडबडी हो सकती हैं।
*दिमाग में परिवर्तन:-* एडीएचडी से ग्रस्त बच्चों में ध्यान केंद्रित करने वाले मस्तिष्क का क्षेत्र कम सक्रिय होता है।
*गर्भावस्था के कारण:-* गर्भावस्था के दौरान खराब पोषण, संक्रमण, धूम्रपान, शराब और मादक द्रव्यों का सेवन बच्चे के मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है।
*मस्तिष्क की चोट या मस्तिष्क संबंधी विकार:-* मस्तिष्क के सामने वाले हिस्से की चोट, आवेगों और भावनाओं को नियंत्रित करने में समस्या पैदा कर सकता है।
*एडीएचडी से बचाव के उपाय:-*
गर्भावस्था के दौरान किसी भी ऐसी चीज़ो से बचें जो भ्रूण के विकास को नुकसान पहुंचा सकती है। शराब, धूम्रपान व दवाओं का उपयोग न करें।बिषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से बचें। कृषि या औद्योगिक रसायनों और लेड पेंट जैसे प्रदूषक और विषाक्त पदार्थ से अपने बच्चे को सुरक्षित रखें। पांच वर्ष तक के बच्चों के टीवी, विडिओ गेम्स और मोबाइल के ज़्यादा उपयोग करने से एडीएचडी समस्या हो सकती है।
*एडीएचडी (ध्यानभंग व अतिचंचलता विकार) का परीक्षण:-*
ऐसा कोई भी एक परीक्षण नहीं है जो एडीएचडी का निदान कर सके। इसका निदान करने के लिए, चिकित्सक बच्चे के पिछले छह महीनों तक के लक्षणों का आकलन करते हैं।
यदि आपको संदेह है कि आपके बच्चे को एडीएचडी है, तो मूल्यांकन के बारे में मनोवैज्ञानिक से बात करें।
*माता-पिता कैसे संभाले:-*
# बच्चे के प्रति सकारात्मक रवैया रखें
# बच्चे की हर चीज टाइमटेबल के हिसाब से सेट करें
# बच्चे के लिए सृजनात्मक वर्कशॉप आयोजित करें
# बच्चे को दूसरे बच्चों के साथ खेलने के लिए प्रोत्साहित करें
# बच्चे द्वारा किए गए हर छोटे-बड़े काम की तारीफ करें तथा असंभव पुरस्कृत करें
# बच्चे को अच्छी नींद लेने दें।
*ध्यानाभंग एवं अतिचंचलता विकार (एडीएचडी) का इलाज:-*
*दवाएं:-*
दवाएं अति-सक्रिय और आवेगी व्यवहार को नियंत्रित करने और ध्यान की अवधि बढ़ाने में मदद करती हैं।
*थेरेपी:-*
# विशेष शिक्षा
# व्यवहार संशोधन
# मनोचिकित्सा
# परामर्श
# सामाजिक कौशल प्रशिक्षण