कविता
हो जो सच में काबिलेतारीफ़
उसकी तारीफ़ हर हाल में हो ।
उस पर भी इक फूल खिले–
ख़्वाहिश ये डाल-डाल में हो ।
नीयत में कालिख लेप नहीं हो
चंदन का तिलक यदि भाल में हो ।
ईमानदारी न सिर्फ़ एक में —
हर एक युवा,वृद्ध-बाल में हो ।
बकरी सचेत रहा करे चंचल
भेड़िया न भेड़ की खाल में हो ।
— कमल चंचल