छंद
स्वेद से धरा को सींच धानी परिधान दिया
उनका न पूछ रहा कोई यहाँ हाल है
भाल के कपाल शीश चढ़ रक्तपात किया
उनको भी लाल कहे अजब कमाल है
भारत के दुश्मनों ने भारत को घाव दिये
भारत को बाँटने की फिर चली चाल है
नाम बदनाम करे हालियों का दुनिया में
कृषक नहीं कोई भी, सब ही दलाल हैं
— मनोज डागा