डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल की कहानियों में “नारी शोषण”
आदर्शमान समाज के अस्तत्व एवं विकास के लिये नारी का योगदान निविवाद है । जिस समाज में नारी सुख और सन्तुष्ट रहती है । वह समाज मंगलकारी माना जाता है। परन्तु यह एक दुर्गभाग्यपूर्ण तथ्य है कि वर्तमान समाज में नारी की स्थिति बहुत दैनिय है परिवारिक क्षेत्र में अनेका अनेक दायित्व निभाते हुए भी समाज के पुरुषो द्र्रा शोषण का अनुभव करना पड़ रहा है । नारी के बिना संसर की सृष्टि क संचालन नही हो सकता , जिसका ऋण कोई चुका नही सकता । नारी देवी का स्वरुप है , वह पुरुष धनसंपन होते है जो नारी के प्रति मान- सम्मान , प्रेम की भावना, कर्तव्य की भावना, दया की भावना,ऐसी वृति नारी के प्रति रखता हो उस पुरुष को आदर्शमान कहा जाता है– महाभारत के समय कृष्ण ने कहा था कि जिस समाज में नारी के सम्मान को ठेस पहुचेगी उस समाज का कभी उधार नही हो सकता ( वह समाज नर्क के समान है ) वर्तमान समाज में ऐसे कुछ पुरुष है जिन्होने ने अपनी सभी मर्यादा की सीमा को तोड़कर रख दिया है । उन्हे अपने पुरुष होने का इतना अहंकार होता है कि वह अपनी सारी मर्यादाओ को भुलकर नारी पर हत्याचार करने लगते है । देखा जाये तो समाज में अधिकतर स्त्री आर्थिक , सामाजिक एवं मानसिक रुप से शोषण किया जा रहा है । ऐसी दैनिय स्थिति का चित्रण करनी वाली कहानियाँ सहदय या पाठ्को को नारी के प्रति सम्मान पूर्ण द्ष्टिकोण विकसित करने के लिये प्रेरित करती हैं । डॉ गिरिराज शरण अग्रवाल की कई ऐसी कहानियाँ हैं जिनमे वर्तमान नारी समाज की विडंमनाओ की स्थिति का वर्णन तथा उनके शोषण का वर्णन किया है और इन स्थिति से मुक्ति पाने के मार्ग बताये है । इन विभिन्न कहानियों में कई ऐसी नारी पात्र है जो अपने आदर्श व्यक्तित्व के द्रारा पाठ्को को मोहित कारती है । और उन्हे चारो तरफ की स्थितियाँ नारी का सम्मान करने के लिये प्रोत्साहित्य करते है । डॉ अग्रवाल की कहानियों के कुछ ऐसे नारी पात्रो का विवेचन निम्न पंन्तियों द्ष्टव्यय है ।
“ कूडा कचरा “ कहानी में विमला देवी बचपन से ही विभिन्न प्रकार की कठ्नाईयों से लड़ रही थी । उसका पिता दारु पीकर माँ से मार- पीट करता था । माँ की प्रताड़ना देखकर विमला बहुत भावुक और डरा मह्सूस करती थी । विमला का विवाह बचपन में कर दिया गया और विवाह के कुछ साल बाद विमला का पति भी छोड़कर चला गया । उसके एक पुत्री थी । वह अपनी पुत्री का पालन- पोषन पेपर के पैग बनाकर पलसारियों के दुकनों पर बेचा करती थी । उसका का जीवन विशेष परिस्थितियों से जूझ रही थी क्यो कि परिवार का भार उसपर आने लगा। विमला ने मेहनत – मजदूरी करके अपनी बेटी को पढ़ाया- लिखाया ,विवाह भी कर दिया लेकिन उसका पति घर लौट कर न आया। पति कि राह देख- देख कर विमला को बूढापा भी आने लगा । इस प्रकार विमला देवी ने समाज में अपनी पह्चान बनाई । इससे यह स्पष्ट होत है कि वर्तमान नरी पुरुष प्रताड़्ना रह्कर भी आत्मनिर्भर होकर सुखी जीवन जी सकती है । लेकिन ऐसी नारीयों को समाज जीने नही देता है । इस लिये नारी अनेक प्रकार की समस्यों से घिरी होती है ।
“ एक और महाभारत “ कहानी में शीला नाम की पात्र नारी आर्थिक और गरीबी की तंगी से छोटी- मोटी मजदूरी करके अपने बच्चो को पाल रही थी । तमाम समाज की रुढ़ियों से तथा पति की प्रताड़ना से संघर्ष कर रही थी । क्यो कि शीला के पति को जुए की बहुत लत थी । एक दिन उसके पास पैसे न होने के कारण वह अपनी पत्नी से झगड़ा करके नाक काम के आभूषण ले जाकर जुए में हार गया । शीला अपने हालातो और पति के हत्याचारो से लड़कर भी अपना जीवन व्यतित कर रही थी। अनपढ़ होने पर भी शीला को पति के हत्याचरो से जूझकर और मेह्नत के प्रति साहस दिखाई देता था ।क्यो कि समाज में कुछ ऐसे जानवर से लड़ना होता है जो शीला का पति था वह राक्षस प्रवृति का था । उसे छोटी- छोटी बातो पर ताने देता, मार- पीट करता था ।
“ एक और लक्षण रेखा ” कहानी में धीरज और आभा दोनो पात्र पढ़े- लिखे थे । आभा बचपन से ही माँ और बाप की छाया से दूर रही । आभा मामा के पास रह्ती थी । उन्होने पढ़ा लिखाया , देखभार की बड़ी होने पर धीरज के साथ शादी की । वे दोनो खुशहाली से आदर्श दाम्पत्य जीवन व्यतित कर रहे थे ।शादी के कुछ साल वाद उनको एक बेटे की प्राप्ति हुई, उन दोनो के बीच अपार प्यार था एक दुसरे के किये मर मिटते थे ।आभा किसी कम्पनी में टाईपरीस्ट थी और धीरज कार्यालय में मैनेंजर के पद पर कार्यत था । दोनो की सेम मजबूरियाँ थी क्यो कि ऑफिस में कभी- कभी काम अधिक होने के कारण घर लेट आना पड़ता है । कभी-कभी परिवार में छोटी- छोटी शंकाऐ एक बड़ा रुप धारण कर लेती है। शाम को एक दिन आभा ऑफिस से लेट हो गई इसी कारण धीरज ने घर का दरवाजा नही खोला । आभा ने दरवाजा नोक किया और फोन पर रिंग किया लेकिन धीरज ने अंदर से कोई रिप्लाई नही दिया । आभा परेशान होकर अपने मित्र के घर चली गई । जब वह सुबह अपने घर गई तो धीरज ने कुछ कहा न बोला और अपना बैग पैक कर बेटे को साथ लेकर चला गया । आभा की आखें ये देखकर फटी की फटी रह गई मैंने ऐस क्या कर दिया कि बेटे से अलग होना पड़ा। पति के इस हत्याचार को वह सहन नही करपाई । परिवार में नारी के लिये कितनी कठ्नाई होती है समाज भी जीने नही देता। जब वह बच्चो से दूर रहती है ।इस प्रकार कहा जा सकता है कि आत्मनिर्भर होने के कारण भी आभा को दबाया गया है।
“ अपराध बोध “ कहनी में अनुराधा ने समाज के अनाचारो और विंसगतियों से ग्रस्त होकर आत्महत्या कर ली जब कि वह अपराध उसने नही किया फिर भी समाज ने अपराधी ठ्हरा दिया । क्या उसकी गलती माफ नही हो सकती थी । बचपन में अनुराधा का कुछ लोगो ने मिलकर बलात्कार कर दिया ।इसी करण समाज ने उसे जीने नही दिया इस प्रकार हम देखते है कि कई बार नारी की गलती न होने पर समाज उसे आत्महत्या करने पर बाध्य करता है जो एक दुर्भाग्य पूर्ण बात है ।
निष्कर्ष ; कहा जाता है कि श्री गिरिराज शरण अग्रवाल ने अपनी कहानियों में वर्तमान युग की विड़म्बनापूर्ण स्थिति क चित्रण करते हुऐ यह बताने का प्रयास किया है कि ऐसे स्थिति से मुक्ति कैसे पा सकती है । उनक विचार है कि पुरुष की अहंकापूर्ण मानसिकता से बचने के लिये वर्तमान नारी स्वालंबी एवं आत्मनिर्भर होनी चहिए और किसी भी विड़म्बना अथवा विसंगतिपूर्ण स्थिति से निरास नही होनी चाहिए । उन स्थितियों के विरुद संघर्ष करते हुए आदर्श जीवन व्यतीत करना चहिए । ये कहानियाँ पढ़ने वाली नारी पाठ्को के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है ।अवश्य ही अपने परिवारिक एवं सामाजिक जीवन को सार्थक बनाने की दिशा में अग्रसर हो पायेगी ।
— कल्पना गौतम