कुछ पल बिताए हम
आज फिर कुछ पल हम
आज फिर कुछ समय ,
साथ बिताए हम,
याद करे उन लम्हों को,
जब हमने करी थी,
अपने सफर की शुरुआत।
चलते चलते थक गए,
जीवन की सांझ हो गई ,
कब ,कैसे नही मालुम।
आओ कुछ देर बैठ ले,
आज फिर एक दूसरे का ,
हाथ थाम ले हम ।
थोड़ा सा ही याद करे,
उन खूबसूरत लम्हों को ,
जो है अनमोल हमारे लिए।
कभी अपने तो अपनों के ,
सपनों को पूरा करते करते,
हम खुद को बिसरा गए ।
जिंदगी की इस सांझ में ,
हम तुम मिल कर जी ले ,
कुछ लम्हे खुद के लिए ।
जिंदगी की किताब में ,
हम नया पन्ना जोड़े ये,
“ढलती उम्र का प्यार”।
आओ कुछ पल ठहर कर ,
कुछ पल हम जी ले ,
अपने खुद के लिए,
कब किसकी रात हो जाये,
इस कभी न खत्म होने वाले,
जिंदगी के सफर की ।
रात के आने के पहले ,
थोड़ा सा मुस्करा ले हम,
पहले की तरह ।।।।।
जिंदगी की किताब के
आखिरी के पन्नो पर ,
सारी खुशियां लिख ले ।
आओ याद करे कुछ ,
उन लम्हों को हम ।।।
डॉ सारिका औदिच्य