कविता

कुछ पल बिताए हम

आज फिर कुछ पल हम
आज फिर कुछ समय ,
साथ बिताए हम,

याद करे उन लम्हों को,
जब हमने करी थी,
अपने सफर की शुरुआत।

चलते चलते थक गए,
जीवन की सांझ हो गई ,
कब ,कैसे नही मालुम।

आओ कुछ देर बैठ ले,
आज फिर एक दूसरे का ,
हाथ थाम ले हम ।

थोड़ा सा ही याद करे,
उन खूबसूरत लम्हों को ,
जो है अनमोल हमारे लिए।

कभी अपने तो अपनों के ,
सपनों को पूरा करते करते,
हम खुद को बिसरा गए ।

जिंदगी की इस सांझ में ,
हम तुम मिल कर जी ले ,
कुछ लम्हे खुद के लिए ।

जिंदगी की किताब में ,
हम नया पन्ना जोड़े ये,
“ढलती उम्र का प्यार”।

आओ कुछ पल ठहर कर ,
कुछ पल हम जी ले ,
अपने खुद के लिए,

कब किसकी रात हो जाये,
इस कभी न खत्म होने वाले,
जिंदगी के सफर की ।

रात के आने के पहले ,
थोड़ा सा मुस्करा ले हम,
पहले की तरह ।।।।।

जिंदगी की किताब के
आखिरी के पन्नो पर ,
सारी खुशियां लिख ले ।

आओ याद करे कुछ ,
उन लम्हों को हम ।।।

डॉ सारिका औदिच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।