नारी सशक्तिकरण की अनूठी मिशाल : डॉ. भावना शर्मा
नारी अब अबला नही सबला हो गयी है।वर्तमान समय मे नारी हर कार्य क्षेत्र में पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर हौसले और मजबूती से आगे बढ़कर अपनी कार्यक्षमता का प्रदर्शन कर रही है।नारी की इच्छा शक्ति मजबूत और इरादे नेक हो तो वो हर कार्य कर सकती है।
मैं आपका ऐसी ही एक सशक्त नारी, महिलाओ की प्रेरणाश्रोत राजस्थान के झुंझुनूं जिले की प्रखर अभिव्यक्ति डाॅ भावना शर्मा से परिचय कराता हु।डॉ शर्मा जो तंबाकू नियंत्रण के लिए एक सतत जागरूक अभिव्यक्ति हो, या स्त्री विमर्श, या एक गोभक्त, या दिव्यांग जन के लिए सेवा को तत्पर, सड़क सुरक्षा के लिए कदम बढाती शख्सियत, बाल मजदूरों के हक में लडती एक विदुषी, या उच्च शिक्षा के क्षेत्र में रोशनी फैलाती बहुआयामी प्रतिभा की धनी को नारी सशक्तिकरण की अनूठी मिशाल कहे तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।
डॉ शर्मा मूलतः शिक्षिका है इन्होने एम एड, नेट, जेआरएफ, पीएचडी राजनीति विज्ञान, पोस्ट डाक्टरल सामाजिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली (आईसीएसएसआरआर ) से है। साथ ही आईसीएसएसआरआर के आर्थिक सहयोग से नई अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था व दक्षिण एशियाई देश,रावत पब्लिकेशन से इनकी पुस्तक प्रकाशित हुई है। लगभग पच्चीस आर्टिकल राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित है और साथ ही राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समाचार पत्र -पत्रिकाओं में आलेख प्रकाशित होते रहते है।स्वतंत्र लेखन,सामाजिक सरोकारों में सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रमो का संयोजन व संचालन भी बेमिशाल होता है।
युवाओं को तंबाकू से बचाने के प्रेरणा
डॉ शर्मा कविता, आलेख, नुक्कड़ नाटक के जरिए युवाओं से जुड़ी हुई रहती है और नशे के गिरफ्त में पीड़ित लोगों के जीवन में आने वाली विसंगतियों के संदर्भ मे मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर विचार विमर्श करती है। इन्होंने बताया कि जीवन में गुणात्मक परिवर्तन के माध्यम से ही तंबाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है और वे स्वय लोगों से जुड़ने कर उन्हे मानसिक रूप से तैयार करती है कि वे आज भी अपनी अच्छी जिंदगी के लिए किसी लत के मोहताज नहीं हैं।
गोवंश की सेवा के लिए तत्पर
डाॅ भावना शर्मा एक निश्ठावान गोसेवक है।गोवंश के लिए सदैव सजग रहती है। गोवंश को बचाने के लिए अपने आसपास के लोगों को जागरूक करने के लिए मोदियो की जाव में विशाल भंडारा भी करवाया। डॉ शर्मा अपनी मित्र सपना राणासरिया के साथ नंदीशाला झुंझुनू मे शाक सब्जी की सवामणी के माध्यम से लोगों को गोसेवा के लिए प्रवृत्त करती रही। जिसके आश्चर्यजनक परिणाम देखने को मिल रहे है। काफी संख्या में नागरिक प्रेरित हो कर नन्दी शाला में शाक सब्जी की सवामणी कर गोसेवा कर रहे है।गोवंश नवाचारों मे भी इन्होंने गोकाष्ठ मशीन एवं उत्पाद का प्रचार किया और इस दिपावली पर संगीता आर्य के साथ गोबर से बने दीपक की श्रंखला तैयार की ताकि गोवंश भी आर्थिक रूप से सशक्त हो सके। डॉ शर्मा आज भी वे नंदियो को बचाओ इस मुहिम में अनवरत लगी हुई है।
डॉ शर्मा ने महिलाओं के उत्थान मे लेखन, कविता, नुक्कड़ नाटक, कान्फ्रेंस के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों के लिए जागरूकता कार्यक्रम मे प्रभावी भुमिका निभाई। इन्होंने पुलिस प्रशासन के आपरेशन आवाज़ अभियान हो या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण का आयोजन हो या किसी एनजीओ या विश्वविद्यालय की कान्फ्रेंस हो,कोरोना काल का समय हो हर कदम पर वे महिलाओं को सशक्त करती रही। आप जयपुर के एनजीओ ह्युमन राइट विजन की ज्वाइंट सैकटरी के रुप में भी महिलाओं के उत्थान के लिए तत्पर रही है।
सड़क सुरक्षा जुनून है इनका
22 मई 2013 के सड़क दुर्घटना और लंबे समय के इलाज ने इन्हे सडक सुरक्षा के लिए आमजन को प्रेरणा देने का जुनून पैदा कर दिया।और वे इस मुहिम में आज तक अनवरत लगी हुवी है।डॉ शर्मा गत 4 वर्ष से झुंझुनूं जिला परिवहन विभाग के सडक सुरक्षा के सभी कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं का बखूबी संयोजन कर रही है।और जिला पर्यावरण सुधार समिति के तत्वावधान में भारत सरकार के सौजन्य से चले सड़क सुरक्षा कार्यक्रम का भी संयोजन डा शर्मा ने किया और अभी भी चूरू, अजमेर, झुंझुनूं, सीकर के कार्यक्रम देख रही है।
डॉ शर्मा दो साल से दिव्यांग लोगों के लिए भी परमहंस दिव्यांग समिति के संरक्षक के रूप में शैक्षणिक विशेषज्ञ के रुप में भी कार्य कर रही है। जिसमें वे सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं की जानकारी दिव्यांग लोगों को देकर अपनी शिक्षा का सदुपयोग करती है।
डॉ शर्मा ने साक्षात्कार में बताया कि महिलाओं को हमेशा सामाजिक कार्यो के लिए तत्पर रहना चाहिए तब वे आगामी पीढ़ी को सुदृढ़ कर पाएगी। समाज में नवाचारों का बीजारोपण होगा तब ही हम विकसित समाज की परिकल्पना करेंगे। हम समाज की आधी आबादी है और हमारा भी दायित्व है कदम से कदम मिलाकर चलना इसलिए हर क्षेत्र में जाने कि नया क्या हो रहा है और हम क्या सुधार कर सकते हैं। आज खोने के लिए हमारे पास कुछ भी नहीं है पर पाने के लिए आसमान है इसलिए ये न सोचें कि क्या फर्क पड़ता है अपितु यह सोचे कि आपके एक सुधारात्मक कदम से किसी एक के जीवन संसार में क्या फर्क पड़ता है।
आज हमे हमारे अंदर की माँ सरस्वती को जागरूक करना है और साहस रूपी दुर्गा को प्रखर करना है, कर्मपथ की अटल लक्ष्मी बनना है तब ही भारत सही अर्थों में विकास के सोपान को प्राप्त होगा।
— डॉ शम्भू पंवार