पुस्तक समीक्षा : महाभारत का ‘उपसंहार’
जब भी पौराणिक इतिहास और महासंग्रामों की बात होती है, ‘महाभारत’ की चर्चा नहीं छूट सकती। ‘उपसंहार’ महाभारत पर आधारित एक लघु उपन्यास है, जिसे लिखा है डॉ विजय कुमार सिंघल ने। डॉ सिंघल पेशे से एक चिकित्सक हैं। साथ ही साथ कंप्यूटर तकनीक और साहित्य पर गहरी पकड़ रखते हैं। आपने महाभारत से जुड़ी घटनाओं पर भी गूढ़ता से ज्ञानार्जन किया है। और शायद यही कारण है कि आपने इस पर आधारित दो लघु उपन्यास लिखे हैं- ‘शांतिदूत’ और ‘उपसंहार’। शांतिदूत विशेषतः श्रीकृष्ण के चरित्र पर प्रकाश डालता है, जो कि पाठकों के बीच पर्याप्त चर्चित रहा और सराहा गया।
उपसंहार की प्रथम बड़ी विशेषता यही है कि यह हिंदी में लिखा गया है यानी हिंदी के पाठकों को समर्पित है। अपने शीर्षक के मुताबिक ही यह महाभारत के उपसंहार यानी अंतिम प्रसंगों की चर्चा करता है।महाभारत युद्ध के अंतिम दिन यानी अठारहवें दिन से लेकर वीरगति को प्राप्त हुए योद्धाओं के अंत्येष्टि कार्यक्रम तक की चर्चा सरल शब्दों में की गई है। मात्र चालीस पन्नों की यह छोटी सी पुस्तक रुचिकर बन पड़ी है। मूल्य भी मात्र चालीस रुपए है अर्थात हर छोटा-बड़ा आदमी इसे खरीदकर पढ़ सकता है।
युद्ध के सत्रहवें दिन कर्ण मार दिया जाता है। कर्ण जैसे महान योद्धा के अंत के कारण कौरव सेना की बहुत बड़ी क्षति होती है क्योंकि दुर्योधन ने उसी की शक्ति के सहारे यह युद्ध ठाना था। बावजूद इसके, दुर्योधन मद्रनरेश शल्य को अपना सेनापति चुनते हुए अपनी सेना के साथ युद्ध क्षेत्र में उतरता है।इसी अठारहवें दिन एक बार फ़िर कौरव पक्ष को बड़ी हानि होती है।युधिष्ठिर द्वारा महाराज शल्य का वध हो जाता है, सहदेव द्वारा शकुनि और उसका पुत्र उलूक मारा जाता है, भीम द्वारा दुर्योधन के शेष जीवित भाइयों का वध होता है और अर्जुन, सुशर्मा और उसकी समस्त संसप्तक सेना का अंत करते हैं।दुर्योधन अपने प्राण बचाकर एक तालाब में छिपने को भागता है और कुछ देर बाद उसे अपने बीच न पाकर कृपाचार्य, कृतवर्मा और अश्वत्थामा उसे ढूँढ़ने निकलते हैं। फिर आगे भी कौरवों और पांडवों का आपसी संवाद इस लघु उपन्यास में दर्शाया गया है।किस प्रकार द्रौपदी अश्वत्थामा को मृत्युदंड न देकर कोई अन्य दंड देने को कहती हैं और श्रीकृष्ण द्वारा अश्वत्थामा के मस्तक से मणि ले ली जाती है तथा उसे अनंत काल तक कष्ट सहकर भटकने का श्राप दिया जाता है, डॉक्टर सिंघल ने एक भी घटना शेष नहीं रखी है।
यह बात फ़िर एक बार दोहराना चाहूँगा कि पुस्तक अपने नाम के अंतर्गत ही महाभारत के उपसंहार के विषय में गूढ़ता से चर्चा करती है और उससे जुड़ी घटनाओं का विधि पूर्वक बोध कराती है। यह एक रुचिकर एवं ज्ञानपरक लघु उपन्यास है।
— अनुज पाण्डेय (गोरखपुर,उ.प्र.)
संपर्क: 8707065155
पुस्तक: उपसंहार
लेखक: डॉ विजय कुमार सिंघल
विधा: लघु उपन्यास
मूल्य: ₹40
संपर्क: 9919997596