ख़्वाब कोई ख़ास रखिए
ख़्वाब कोई ख़ास रखिये और चलिए
जीत का विश्वास रखिये और चलिए
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रास्ते भी खुद-ब-खुद दिखने लगेंगे
मंजिलों की प्यास रखिये और चलिए
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आँधियां बेशक डराएगी हमें पर
हौसलों को पास रखिये और चलिए
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गम न करिए रूठ जाएं गर बहारें
चारसू मधुमास रखिये और चलिए
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छोड़िये कि ये जमाना क्या कहेगा
सोच को बिंदास रखिये और चलिए
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दोस्त चाहे हों कई पर जिंदगी में
एक कोई ख़ास रखिए और चलिए
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तल्ख़ियों से क्या हुआ हासिल किसीको
प्यार का अहसास रखिये और चलिए
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दूर करते जाइये गम जिंदगी से
मुस्कुराहट पास रखिये और चलिए
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धड़कनें भी अब ‘रमा’ कहने लगी हैं
दरमियाँ उल्लास रखिये और चलिए
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रमा प्रवीर वर्मा