मेरे बचपन के प्रिय शिक्षक-श्री सायाराम वाघमारे सर

बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियों मिलाय!!
बचपन से ही मुझे चित्रकला का बोहोत शोक था!श्री सायाराम वाघमारे सर के पास में कक्षा 7 में उनके घर चित्रकला सीखने जाने लगी!वैसे वे मेरे स्कूल अटामिक एनर्जी सेंट्रल स्कूल रावतभाटा में ऑर्ट शिक्षक थे पर वे हमारे सेक्शन को नहीं पड़ते थे!वे मुझे बोहोत प्रोत्साहित करते,कभी कभी मुझे कहते यह चित्र मिली तुमने मुझसे भी अच्छा बनाया है,उनकी बात से में खिल उठती,फिर वो मुझे मेरे चित्र में प्यार से गलती बता कर कहते यह थोड़ी ऐसे बनती तो और अच्छा लगता!वो मुझे अमृता शेरगिल कहते तो मुझे लगता में आसमान को छू रही हूँ!वे चिड़िया बनाना सिखाते तो कभी बच्चों को देख कर कॉपी करने को नहीं कहते,वो कहते की अपनी कल्पना से चिड़िया को बनाओ,हम बच्चे कोई चिड़िया को उड़ता हुआ,कोई पेड़ के घोंसले में,कोई छत की मुँडेर पर बनते,चिड़िया वोही होती पर चित्र हर बच्चे के अलग बनते!वो हर बच्चे को प्रोत्साहित करते और हमें नन्हें चित्रकार कहते!कक्षा 8 में मैंने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता उनके निर्देशन में तों उनकी ख़ुशी मुझसे दुगनी थी!उनकी यह इच्छा थी कि में जे जे स्कूल ओफ़ आर्ट मुंबई से बी अफ अ करु पर कुछ कारणवश में नहीं कर पाई!बी अ में चित्रकला विषय ले कर राजस्थान विश्वविद्यालय से चित्रकला में पी अच डी की डिग्री प्राप्त ज़रूर की!उनके मार्गदर्शन से ही में 15 साल से नन्हें बच्चों को चित्रकला सिखाती आ रही हूँ!मैंने नारी के दर्द पर पेंटिंग सिरीज़ की एग्ज़िबिशन की जो टी वी पर प्रसारित हुई!मेरी थीसस का विषय भारतीय लघु चित्रों में देवियों का अंकन है!श्री सायारम वाघमारे सर को दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ !आज वे रेटायअर्मेंट के बाद मुंबई में हें तथा मुझसे लगातार सम्पर्क में हें!वे देश विदेश में अपनी एग्ज़िबिशन करते रहते हें!उनके बनाये पोर्ट्रेट अवेम लैंड्स्केप भारत की अमूल्य पूँजी है!जय विजय न्यूज़पेपर के माध्यम से उन्हें हैपी टीचर डे विश करती हूँ!
धन्यवाद!
डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट