कविता

निर्भया

आज पावन हुआ विहान
चढ़ गए सूली पर शैतान
निर्भया को न्याय मिला
जीत गया है स्वाभिमान
बहु जाल रचे दुष्ट रक्षक
जो थे मानवता के भक्षक
पर वह अपना कर्म किए
वे खुद हुए  शर्मसार
दुष्टों के रक्षक एपी सिंह
क्या सिंहों वाला काम किया
वकीलों के पेसे को उसने
बस बदनाम किया
विनय ने क्या विनय सुनी?
 अक्षय ने तो क्षय कर डाला
पवन नाम बदनाम हुआ
मुकेश संग सबका मुंह काला
भुलू कैसे वह काला दिन
बस में हैवानों की हैवानियत
सिहर कर निर्भया की मौत से
रोया था उस दिन भगवान
आखिर मां की ममता जीती
आशा मां की गर्वित छाती
बद्रीनाथ भी धन्य हुआ है
बेटी को जो न्याय मिला है
सीमा की मेहनत का फल है
दोषी को जो दंड मिला है।
ऐसे ही तुम न्याय दिलाना
बेटी की बस लाज बचाना
बलात्कार करनेवाला क्या
नाबालिक भी हो सकता है?
वह तो बस चांडाल कुकर्मी
दानव,राक्षस हो सकता है।
— कृष्ण कुमार क्रांति

कृष्ण कुमार क्रांति

सहरसा, बिहार