काम ऐसा करो कि तुम्हें अपने पैदा होने पर गर्व हो. दुनिया में हर इंसान के अंदर कुछ करने की क्षमता होती है… कोई किसी से कम नही है..कोई भी इंसान अगर पूरी श्रद्धा के साथ किसी चीज को करने लग जाये तो…निश्चय ही एक न एक दिन कर लेगा…लेकिन इसे करने के लिए आपके अंदर एक भावना का होना जरूरी है…
आपको सफल होना है तो आपके अंदर एक ऐसी भावना होनी चाहिए..जो उस कार्य को करने के लिए आपको मजबूर कर दे.. जिस देश में करीब 20 करोड़ लोग हर रोज भूखे पेट सोने के लिए मजबूर हैं। और जिस देश में हर रोज़ सैकड़ों महिलाएं किसी ना किसी अपराध का शिकार होती हैं…तो मुझे नही लगता उस देश के युवा के पास इससे बडी भी कोई भावना ढूँढनी पड़े..रूह-रूह में जो आग लगा दे ऐसी भावना को ढूंढ लो .
और जिस दिन आपके अंदर वो भावना पैदा हो गयी न..तो यकीन मानो…दिन-रात को एक कर दोगे पढ़ते पढ़ते…ये मोटी मोटी किताबे रट्टा मार जाओगे..जब ऐसी भावना पैदा हो जायेगी तो आपको motivation video देखना नहीं पड़ेगा… खुद ब खुद करने लगोगे … भावना में बहुत ताकत होती है.. जिस पहाड़ को काटने के लिए बड़े बड़े मशीनों की जररूत होती है….उस कार्य को दशरथ मांझी ने केवल छेनी हथौड़ा से काट डाला था..
जानते हो कैसे ? क्योकि उनके पास एक भावना थी कि मुझे हर हालात में इसे काट कर गिराना है..पहाड़ काटने के क्रम में बार बार वे खून से लथपथ होकर जख्मी हुए.. लेकिन उनके मुँह से एक ही शब्द निकलता था…जब तक तोड़ेंगे नहीं, तब तक छोड़ेंगे नहीं…बार बार पहाड़ो के तरफ देख कर कहते थे बहुतै_बड़ा_दंगल_चलेगा_रे हमार तोहार… कड़ी धूप,सर्दी,बरसात में भी वे डटे रहे..और अंततः विशाल पहाड़ का सीना चीर कर रास्ता बना डाले…
तो चलो ढूंढो अपने आप में ऐसी भावना जो तुम्हे इतिहास रचने को विवश कर दे …वो आग पैदा करो अपने अंदर जिसकी चिंगारिया तुम्हे अपने लक्ष्य तक ले जायेगी.. सोचो मत ठोक दो जी जान …सफलता तुम्हारे पास है.. क़दम बढ़ाओ। रास्ते कभी खत्म नहीं होते बस लोग हिम्मत हार जाते हैं। तैरना सीखना है तो पानी में उतरना ही होगा! किनारे बैठ कर कोई गोताखोर नहीं बनता।।
— सविता राजपुरोहित