होली आई, होली आई!
इन्द्रधनुषी रंग है बिखरे,
आकाश का स्वरूप भी निखरे;
रंगों की बौछार है लाई,
होली आई, होली आई!
लाल, पीला, हरा गुलाल,
बुबुई रंग दे सानू के गाल;
खाएँ गुजिया, पापड़ और मिठाई,
होली आई, होली आई!
बच्चों का मनपसंद त्यौहार,
हर ओर खुशियाँ और प्यार;
पिचकारियों की कतार लगाई,
होली आई, होली आई!
रूठें हुए को भी मनाए
इस पर्व आनंदित हो जाएं
भूल जाए सब शिक़वे- लड़ाई
होली आई, होली आई!
— रूना लखनवी