प्रेम का तुम रंग भर दो
इस हृदय के चित्रपट पर,
प्रेम का तुम रंग भर दो।
अब की होली में पिया,
मुझको होली सा कर दो।
नैन फिर गढ़ने लगे हैं,
प्रेम के प्रतिमान अब।
हर दिशा में गूंजती है,
स्नेह की मुस्कान अब।
रंग जितने हैं जहां में,
सब तुम्हारे रंग है।
तुम से ही बनने लगी है,
मेरी भी पहचान अब।
इस अनूठी रागिनी का,
स्वर मेरी धड़कन में भरदो।
अबकी होली में पिया——-
खिल रहे जितने कुसुम हैं,
रंग तुमसे ले रहे।
प्रेम रस में घोलकर के,
फिर सुगंधी दे रहे।
नभ से देखो रंग कि,
बरसात सी होने लगी,
हम तुम्हारे अंक में,
रंग ही रंग हो रहे।
अपनी मोहक मुस्कुराहट,
तुम मेरे आंचल में भर दो।
अबकी होली में पिया——–
प्रेम का पक्का गुलाल,
गाल पर मल दो पिया।
अंग अंग से अंग अंग में,
मुक्ता सा जड़ दो पिया।
नैन की पिचकारियों से,
भाव के रंग डाल दो,
प्रेम के फगुआ में मुझको,
फगुआ तुम कर दो पिया।
एक शाश्वत रंग मेरी,
मांग में आकर तुम भर दो।
अबकी होली में पिया——–
— कामिनी मिश्रा