प्रदूषण
पेड़ पौधों से भरी आवासीय कॉलोनी की छत पर चाँदनी रात में भ्रमण करता एक मध्य-वयस जोड़ा – “यहाँ आने के सप्ताह भर में हम दोनों के स्वास्थ्य में आश्चर्यजनक तरीके से सुधार आना शुरू हो गया है, शायद पिछला घर हमें रास नहीं आ रहा था। कोई वास्तु दोष रहा होगा उसमें, तभी अस्पताल हमारा दूसरा घर बन गया था, नित नई स्वास्थ्य समस्या। वह फ्लैट कैंची की तरह हमदोनों के स्वास्थ्य को कुतरता ही जा रहा था, बस मैं नकारता रहा।”
“वास्तु दोष कुछ होता है या नहीं, रब जाने, पर घर के लिए आसपास खुली जगह, शुद्ध एवं प्रदूषण रहित हवा के लिए पेड़ पौधे, चंद्र और सूर्य के दर्शन तथा उचित हवा और प्रकाश के सुगम रास्ते जरूरी हैं, तभी घर के बाशिंदे स्वस्थ रह पाएँगे।
बढ़ती आबादी, दोहरी आमदनी की जद्दोजहद, बड़े शहरों की भागमभाग, सूने घर की सुरक्षा की मजबूरी से फ्लैटों में कटती जिंदगी, प्रकृति से बढ़ती जाती दूरी, खुली धूप, हवा और रोशनी से वंचित हम,सुकून की नींद भी खोते जा रहे हैं।
‘मैं शहर के बीचों-बीच गुजरती सड़क से लगे अपार्टमेंट में रहता हूँ’ का दंभ। इर्द-गिर्द बनती बहुमंजिली इमारतें, शानदार फ्लैट और बेहतरीन इंटीरियर की ललक, जाने कितना जहर घुलता जाता है हवा में। हम एसी चलाकर प्रदूषण के उच्चतम स्तर में खुद को सुरक्षित समझते हैं, पर प्रदूषण का स्तर और बढ़ता जाता है।
देश की प्रगति के लिए चहुँओर होते निर्माण, उनकी धूल, जिसमें साँस लेते हम, कब तक स्वस्थ रह पाएँगे, इतनी धूल फाँककर। आपकी परोस्मिया बीमारी, जिसमें हर तरफ से आती अजीबो-गरीब दुर्गंध तथा बिना नींद की गोली के नींद न आना, सब उन्हीं का नतीजा है।”
“बीती ताहि बिसार दे, पत्नी जी। यहाँ आने के बाद मुझे नींद की गोली की जरूरत नहीं पड़ी है, चलिए अब सोया जाए, रात बहुत हो चुकी है।”
— नीना सिन्हा