नयी चेतना नयी उमंग
जो बीत गई वह बात ना कर,
नये दिन की नई चेतना,
उमंग मन में भर,
है मुश्किल सही सब भूलना,
है मुश्किल सही सब भूलना,
क्या रह गया क्या खो दिया।
मन को तेरे जो भिगो दे,
मन को तेरे जो भिगो दे,
अब वह हिसाब ना कर,
बीत जाता है समय भी,
बीत जाता है समय भी,
अच्छा हो या बुरा।
सोच कर बीते पलों को यूं,
सोच कर बीते पलों को यूं,
समय जाया ना कर,
जो बीत गयी वो बात ना कर।
यूं ना रख निस्तेज मन को,
जो बीत गयी वो बात ना कर।
यूं ना रख निस्तेज मन को,
रचने दे नयी कल्पना,
फिर सजे आंगन तेरा,
फिर सजे आंगन तेरा,
रच ले तू ऐसी अल्पना।
जो चले अविरल समय संग,
जो चले अविरल समय संग,
वह समय को जीत ले।
जो भरे ऊर्जा मन में ऐसी,
जो भरे ऊर्जा मन में ऐसी,
सोच का संचार कर।
जो बीत गई वह बात ना कर।
थे जो क्षण अनुपम बीते,
जो बीत गई वह बात ना कर।
थे जो क्षण अनुपम बीते,
वक़्त की सौगात में।
चुन ले वो मोती जो,
चुन ले वो मोती जो,
खुशियों भरे जज्बात थे।
है तेरा संसार सुखमय,
है तेरा संसार सुखमय,
ईश आभार कर।
सीख कर बीते समय से,
सीख कर बीते समय से,
नयी भोर का आगाज कर।
जो बीत गई वह बात ना कर,
नये दिन की नई,
जो बीत गई वह बात ना कर,
नये दिन की नई,
चेतना उमंग मन में भर।
मोहिनी गुप्ता