लघुकथा

भूलने की बीमारी

सविता आजकल कुछ ज्यादा ही परेशान हो रही थी। कारण थी उसकी सासू माँ…जो कि एक हफ्ता पहले तक बिल्कुल भली चंगी थी। अचानक से सब कुछ भूलने लगी थी।एक दिन नहा के आ गयी तो दोबारा नहाने जा रही थी। खाना खा के भूल जाती और फिर सब को बोलती कि मुझे अभी तक खाना नही दिया। सविता को घर के सभी कामों के साथ उनको अकेले सम्भालना मुश्किल हो रहा था तो पतिदेव ने बोला माँ के लिए कोई केअर टेकर रख लो जो उनके आसपास ही रहे और उनका पूरा ध्यान भी रखे।
तब सविता को किसी ने मीरा के बारे में बताया कि उसको काम की ज़रूरत है।
मीरा अगले दिन से ही काम पर आने लगी। उसकी एक दस साल की बेटी थी दिव्या। जो कि उसके साथ ही आती थी क्योंकि कोविड की वजह से स्कूल बंद थे तो उसको घर पर अकेले नही छोड़ सकती थी।
मीरा ने आते ही सासू माँ को अच्छे से सम्भाल लिया। दिव्या अपनी माँ को काम करते चुपचाप देखती रहती। उसदिन शाम को काम के बाद जब दोनो माँ बेटी  अपनी खोली में वापिस गयी तो दिव्या ने मीरा से पूछा,”मम्मी आंटी के घर में जो दादी अम्माँ है उनको क्या हुआ है। वो देखने मे तो बीमार नही लगती।”
मीरा, “उनको भूलने की बीमारी हो गयी है। जिसमे इन्सान देखने तो बिल्कुल ठीक लगता है लेकिन दिमागी तौर पर बातें भूलने लग जाता है।
आगे से दिव्या बोली,”माँ क्या भगवान जी को भी भूलने की बीमारी है?’
मीरा,”क्यों बिटिया ऐसा क्यों बोल रही हो?”
दिव्या,”वो इसलिए माँ.. भगवान जी ने हमे इस धरती पर भेज तो दिया लेकिन हमें घर तो देना भूल ही गए और कभी कभी तो रोटी  देना भी भूल ही जाते हैं न…!!!
— रीटा मक्कड़