ज़िन्दगी का पल
मुस्कुरा के मिले जहां दिल नहीं मिलता..
छोड़ो अब यूँ तकल्लुफ हमसे नहीं निभता..
महफिलों की ज़िन्दगी बड़ी झूठी होती है..
सच मसान का मौत से पहले नहीं मिलता..
चलो टहल आये यादों की पुरानी बगिया में..
दौड़ते वक़्त में वो पुराना सकून नहीं मिलता..
और राज़ अपने सारे जीते जी दफना देना तुम..
सुना है ज़माने में कोई सच्चा हमराज़ नहीं मिलता…
दौड़ रहें हो तुम आखिर किस मंजिल की ओर..
मौत से ज्यादा यहां ज़िन्दगी का हांसिल नहीं मिलता.
खोना ओ पाना ये मुसलसल होगा ज़िन्दगी में..
तो जियो जी भर के, ज़िन्दगी का पल दोबारा नहीं मिलता..
— प्रियंका गहलौत (प्रिया कुमार )