तन्हाई(103)
हर कोई असहाय लग रहा,
विपदा की वेला आई ।
मनुसृष्टि पर कहर ढा रही ,
क्रूर काल की अँगड़ाई ।
खुद की करो सुरक्षा ,या-
फिर कोरोना का ग्रास बनो!
भीड़-भाड़ से दूर रहो ,
जीवित रक्खेगी तन्हाई ।
————————-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी
हर कोई असहाय लग रहा,
विपदा की वेला आई ।
मनुसृष्टि पर कहर ढा रही ,
क्रूर काल की अँगड़ाई ।
खुद की करो सुरक्षा ,या-
फिर कोरोना का ग्रास बनो!
भीड़-भाड़ से दूर रहो ,
जीवित रक्खेगी तन्हाई ।
————————-डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी