लघुकथा

रिहाई 

अपने पति की नियुक्ति वाले शहर से ससुराल पहुँची मीरा जब रात में सोने का प्रयास कर रही थी तब कानों में किसी के सिसकने का स्वर पहुँचने लगा। स्वर का पीछा करते पहुँची तो वह अम्मा जी की घरेलू नौकरानी के सोने की जगह थी।

पूछा, “क्या हुआ?” तो उस 13-14 साल की बच्ची ने अपने हाथ पाँव सामने कर दिए जो पानी से गल चुके थे।

ढूँढ कर एंटीसेप्टिक मलहम देते हुए पूछा, “कुछ दिनों की लिए गाँव क्यों नहीं लौट जाती? तुम्हारे हाथ-पाँव सूखकर अच्छे हो जाएँगे।”

“दादी नहीं जाने देंगी।”

“क्यों?”

“इस बार गाँव में फसल नहीं हुई है इसलिए मेरे पिताजी ने मुझे यहाँ रखवा कर छह महीने की पगार एक साथ ली है। दादी ने उनसे कहा था, ‘पैसे वसूल होने पर ही मैं गाँव जा पाऊँगी।’ बाबा ने मजबूरी में हाँ कह दिया”, आँखें डबडबा आईं उसकी।

मीरा अम्माजी के छुआछूत और दिन भर हाथ-पैर धुलवाने की आदत से वाकिफ थी। किसी ने बाहर से आकर कुछ छुआ नहीं कि उस पर पानी उड़ेलने में ही दिनभर व्यस्त रहती थीं। कुछ हफ्तों के प्रवास से बहू-बेटियों के भी हाथ-पैर क्षतिग्रस्त हो जाया करते थे।

उसी शहर में काम कर रहे उसके भाई का नंबर लेकर मीरा ने अगले ही दिन उसे फोन करके पगार के पैसों की वसूली के बारे में पूछा और कुछ समझाया।

दो दिनों के बाद मीरा की वापसी थी, अतः टैक्सी पर सामान चढ़वाने के बहाने बाहर लाई; फिर उस बच्ची को भी गेट पर पहले से छुपाकर रखे गए उसके सामान समेत टैक्सी पर साथ चढ़ाकर यह जा और वह जा।

उसका भाई चौराहे पर इंतजार कर रहा था। बच्ची उसके हवाले की और बचे पगार की रकम देकर समझाया, “पहले बहन को वापस पहुँचाना ! अगले दिन शहर काम करने आओ तो पैसे अम्मा जी के हाथ पर धर देना।”

“बहुत डाँट सुननी पड़ेगी।”

“तुमसे ज्यादा मुझे सुननी पड़ेगी, मीरा ने कहा, “पर बहन के लिए इतना भी नहीं कर सकते हो?”

उसके बाद कोई प्रश्न नहीं आया। वह स्टेशन की ओर रवाना हो गई।

— नीना सिन्हा

नीना सिन्हा

जन्मतिथि : 29 अप्रैल जन्मस्थान : पटना, बिहार शिक्षा- पटना साइंस कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय से जंतु विज्ञान में स्नातकोत्तर। साहित्य संबंधित-पिछले दो वर्षों से देश के समाचार पत्रों एवं प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में लघुकथायें अनवरत प्रकाशित, जैसे वीणा, कथाबिंब, सोच-विचार पत्रिका, विश्व गाथा पत्रिका- गुजरात, पुरवाई-यूके , प्रणाम पर्यटन, साहित्यांजलि प्रभा- प्रयागराज, डिप्रेस्ड एक्सप्रेस-मथुरा, सुरभि सलोनी- मुंबई, अरण्य वाणी-पलामू,झारखंड, ,आलोक पर्व, सच की दस्तक, प्रखर गूँज साहित्य नामा, संगिनी- गुजरात, समयानुकूल-उत्तर प्रदेश, शबरी - तमिलनाडु, भाग्य दर्पण- लखीमपुर खीरी, मुस्कान पत्रिका- मुंबई, पंखुरी- उत्तराखंड, नव साहित्य त्रिवेणी- कोलकाता, हिंदी अब्राड, हम हिंदुस्तानी-यूएसए, मधुरिमा, रूपायन, साहित्यिक पुनर्नवा भोपाल, पंजाब केसरी, राजस्थान पत्रिका, डेली हिंदी मिलाप-हैदराबाद, हरिभूमि-रोहतक, दैनिक भास्कर-सतना, दैनिक जनवाणी- मेरठ, साहित्य सांदीपनि- उज्जैन ,इत्यादि। वर्तमान पता: श्री अशोक कुमार, ई-3/101, अक्षरा स्विस कोर्ट 105-106, नबलिया पारा रोड बारिशा, कोलकाता - 700008 पश्चिम बंगाल ई-मेल : [email protected] व्हाट्सएप नंबर : 6290273367