नारी की शिक्षा
हर घर में हो अब नारी की शिक्षा
पाकर वह अपने परिवार का करें दीक्षा
ना दो अब कोई नारी को पीड़ा
दर दर से मांग रही वह भिक्षा!!
शिक्षा ही नारी की है अब हथियार
जिसके बल पर पा सके वह संकटों से पार
गर नारी के पास है शिक्षा का आभूषण
शब्दों से कांटे चुभोऐगी करेगी दरिंदों का संहार!!
शिक्षा का अब हर पुष्प हर घर में महकेगा
शिक्षा का हरदीप हर कदम पर जगमगायेगा
हुई अब अखबार की बातें खत्म
हर जंग जीतेंगे अपनों से वादा होगा!!
शुभग, स्वस्थ हो और जीविका
पोषण हो हर घर परिवार
नारी की शिक्षा है जीवन में जरूरी
पाकर होंगे धन्य! शिक्षा से गुलजार!!
शिक्षा हो जिनके साथ में
रोजगार हो उसे प्राप्त
महिला शोषण का तभी
होगा अब दौर समाप्त!!
नारी अब क्यों ऐसे गमगीन हो
क्यों हो वह व्यर्थो में उदास
पाकर वह शिक्षा श्रेष्ठतम
छू लो तुम नीले आकाश!!
— राज कुमारी