गुड टच बाला प्रेम
“देख ..प्रपोज बाद में करना। पहले प्रेम की परिभाषा बता।” इठलाते हुये वह बोली ।
“फिक्र, ख्याल हर रिश्ते में होता है …तो यह नहीx कहूंगा कि मुझे तेरी फिक्र है, तेरे ख्वाब सजाना चाहता हूं वगैरह वगैरह। एक स्त्री को जिस तरह से प्रेम छू सकता है कोई अन्य छुये तो बेड टच कहलाता है। क्या तुम उस बेड टच को गुड टच में टच करने की इजाजत दोगी मुझे ?”
“हैंय !” बस इतना ही कह पाई वह और शिव उसको बाहों में भरकर एक चुम्बन देकर जा चुका था ।
जाते जाते उसके शब्द हवाओं में गूंज रहे थे ‘पगली यह अहसास किसी रिश्ते में नही होता, सिर्फ प्रेम दे सकता है।”
शिव जा चुका था। वह हतप्रभ सी खडी रह गई।
‘हां यह प्रेम ही तो है’ और शरमा गई खुद से।
@रजनी चतुर्वेदी (बिलगैयां)