लघुकथा

बड़ा दानदाता

“अरे यार,उसका कोई चरित्र है।महाडामिस है वह तो।कितना नम्बर दो का पैसा कमाया है।उसे खुद ही नहीं मालूम होगा कि उसके पास कितनी दौलत है।कालाबाजारी कर भ्रष्ट तरीके से धन तो कमाया ही है, दुराचारी भी है।वह किसी के घर बुलाने के काबिल व्यक्ति नहीं है।”
“तो हम लोग उसके बंगले पर क्यों जा रहे हैं! ऐसे कमीने आदमी से पुण्य कार्यों के लिए कोई सहयोग हमें लेना भी नहीं चाहिए।”
“भाई,जाना तो पड़ेगा ही और सहयोग भी लेना पड़ेगा क्योंकि अपने आयोजन के लिए उससे बड़ा दानदाता कोई मिलेगा नहीं और उसे मुख्य अतिथि बनाएंगे तो अलग से भीड़ जुटाने की आवश्यकता भी नहीं रहेगी।अपनी फाईल पार्टी संगठन में भिजवाने के लिए ऐसे बड़े आयोजनों की भी तो जरूरत रहती है।”

*डॉ. प्रदीप उपाध्याय

जन्म दिनांक-21:07:1957 जन्म स्थान-झाबुआ,म.प्र. संप्रति-म.प्र.वित्त सेवा में अतिरिक्त संचालक तथा उपसचिव,वित्त विभाग,म.प्र.शासन में रहकर विगत वर्ष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ग्रहण की। वर्ष 1975 से सतत रूप से विविध विधाओं में लेखन। वर्तमान में मुख्य रुप से व्यंग्य विधा तथा सामाजिक, राजनीतिक विषयों पर लेखन कार्य। देश के प्रमुख समाचार पत्र-पत्रिकाओं में सतत रूप से प्रकाशन। वर्ष 2009 में एक व्यंग्य संकलन ”मौसमी भावनाऐं” प्रकाशित तथा दूसरा प्रकाशनाधीन।वर्ष 2011-2012 में कला मन्दिर, भोपाल द्वारा गद्य लेखन के क्षेत्र में पवैया सम्मान से सम्मानित। पता- 16, अम्बिका भवन, बाबुजी की कोठी, उपाध्याय नगर, मेंढ़की रोड़, देवास,म.प्र. मो 9425030009

One thought on “बड़ा दानदाता

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    ऐसे लोग तो बुरे कामों से हटेंगे नहीं, चाहे आप उसे बुलाएं या न . फिर ऐसे दानी से कुछ पैसे ले लेने से भी किया हर्ज़ है . चोर से कुछ ले ही लेना चाहिए या फिर उन के खिलाफ कुछ करिए, कोई सबूत इकठे कीजिये और उन को कनून की पकड़ में लायें .

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