गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

हम तो दरिया बन के बहना चाहते हैं,
पर अलग सागर से रहना चाहते हैं ।
जिन्दगी ही तो हमारी है  रवानी ,
इसकी खातिर दु:ख भी सहना चाहते हैं।
रोक पायेगा नहीं राहें  हमारी ,
बात यह साहिल से कहना चाहते हैं।
ऐ हवाओ !बादलों से जाके कह दो ,
ख़ूब बरसे गर वो बहना चाहते हैं ।
रेत को उर्वर बनाने के लिए हम,
हाथ नद-नालों के गहना चाहते हैं ।
— डॉ रामबहादुर चौधरी चंदन

डॉ. रामबहादुर चौधरी 'चंदन'

जन्म--01 जुलाई1948 फुलकिया ,बरियारपुर ,मुंगेर ,बिहार पिन--811211 मोबाइल--8709563488 , 9204636510 आजकल ,हंस, गगनांचल कादम्बिनी, समकालीन भारतीय साहित्य, वर्तमान साहित्य ,आथारशीला ,नया ज्ञानोदय ,सरीखी साहित्यिक पत्रिकाओं में बराबर स्थान मिला है । आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाऐं प्रसारित । सम्प्रति --पूर्व प्राचार्य स्वतंत्र लेखन