पुस्तक समीक्षा

सरल-सहज भाषा में जागरूक करती पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’

इस दौर में पर्यावरण पर रोज नए-नए शोध प्रकाशित हो रहे हैं। ज्यादातर देशों की सरकारें भी पर्यावरण को लेकर चिंतित हैं। हालांकि पर्यावरण की चिंता के बीच कुछ देश अपने हितों को देखते हुए पर्यावरण संरक्षण की नीतियों में बदलाव करते रहते हैं। यानी पर्यावरण संरक्षण की भावना में भी हमारा स्वार्थ घुस गया है। शायद इसी स्वार्थ की वजह से आज भी पर्यावरण को लेकर एक खोखला आदर्शवाद पसरा हुआ है। एक तरफ सरकारी नीतियों में अनेक खामियों के चलते पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कोई गंभीर काम नहीं हो पाता है तो दूसरी तरफ ऐसे मुद्दों पर आम जनता की उदासीनता के चलते पर्यावरण की स्थिति बदतर होती चली जाती है। ऐसे माहौल में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक योगेश कुमार गोयल की हाल ही में प्रकाशित पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पर्यावरण और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर तार्किक विश्लेषण करती है। हिन्दी अकादमी दिल्ली के आर्थिक सहयोग से प्रकाशित हुई यह पुस्तक सही मायनों में पर्यावरण तथा प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करती एक बेहतरीन पुस्तक है।
श्री गोयल लिखते हैं कि वायु प्रदूषण हो या जल प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण हो या ध्वनि प्रदूषण, इनका खामियाजा केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि धरती पर विद्यमान प्रत्येक प्राणी को भुगतना पड़ता है। बड़े पैमाने पर प्रकृति से खिलवाड़ के ही कारण दुनिया के विशालकाय जंगल भी अब इस कदर सुलगने लगे हैं, जिससे न केवल वैश्विक अर्थव्यवस्था को खरबों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है बल्कि दुर्लभ जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियां भी भीषण आग में जलकर राख हो जाती हैं। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से पर्यावरण की स्थिति में सुधार देखा गया है, उसने बता दिया है कि यदि हम चाहें तो पर्यावरण की स्थिति में काफी हद तक सुधार किया जा सकता है। तीस वर्षों से पत्रकारिता और साहित्य जगत में निरन्तर उपस्थिति दर्ज करा रहे वरिष्ठ पत्रकार योगेश कुमार गोयल ने इस पुस्तक में 19 अध्यायों के माध्यम से पर्यावरण और प्रदूषण के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की है। 27 वर्ष पूर्व नशे के दुष्प्रभावों पर पहली पुस्तक ‘मौत को खुला निमंत्रण’ लिख चुके योगेश कुमार गोयल की समसामयिक मुद्दों पर मजबूत पकड़ है। समसामयिक तथा सामाजिक सरोकारों से जुड़े विषयों पर वे राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में हजारों लेख लिख चुके हैं।
‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ पुस्तक को पढ़कर स्पष्ट हो जाता है कि लेखक को पर्यावरण विषय का भी गहन ज्ञान है और उन्होंने पुस्तक में इतनी सरल और सहज भाषा का उपयोग किया है ताकि आम पाठक भी पर्यावरणीय चिंताओं को आसानी से समझ सकें। इन दिनों पर्यावरणीय खतरों को लेकर हर कोई चिंतित है और पर्यावरणीय समस्याओं का तार्किक विश्लेषण करती इस किताब की शुरूआत ही पर्यावरण का अर्थ समझाते हुए प्रकृति, पर्यावरण एवं समाज के अंर्तसंबंधों पर बातचीत से होती है। वायु प्रदूषण और उससे होने वाले विभिन्न रोगों पर की गई चर्चा नई जानकारियां तो प्रदान करती ही है, हमें जागरूक भी बनाती है। लेखक का मानना है कि गरीब और मध्यम आय वर्ग वाले लोग बाहरी और घरेलू दोनों तरह के वायु प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। व्यस्कों की तुलना में बच्चों पर वायु प्रदूषण का अधिक प्रभाव पड़ता है। हमारे देश में गहराते जल संकट और जल प्रदूषण पर होने वाले अध्ययन को भी इस किताब में स्थान दिया गया है।
निश्चित रूप से इस दौर में जल संकट पर गंभीरता से बात होनी चाहिए क्योंकि अब यह कहा जाने लगा है कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर ही होगा। इसी तरह मनुष्य पर ध्वनि प्रदूषण का घातक असर पड़ता है। ध्वनि प्रदूषण से पशु और पक्षियों की जैविक क्रियाएं भी प्रभावित होती हैं। दूसरी तरफ प्लास्टिक कचरे के कारण होने वाला प्रदूषण भी हमारे लिए समस्या बनता जा रहा है। यह कई तरह से हमारे जीवन पर प्रभाव डाल रहा है। इन सारी चिंताओं को इस किताब में स्थान दिया गया है। इसके अतिरिक्त इस किताब में बाढ़, पिघलते ग्लेशियर, वृक्षों के महत्व, पर्यावरण हितैषी ऊर्जा स्रोतों, जंगल की आग, जैव विविधता के संकट तथा माउंट एवरेस्ट के प्रदूषण पर विस्तृत चर्चा की गई है। लेखक का कहना है कि प्रकृति ने दुनिया में हर व्यक्ति को प्रदूषण मुक्त माहौल में सांस लेने का अधिकार दिया है लेकिन हमने स्वयं ही अपनी करतूतों से प्रकृति को इस हद तक रूष्ट कर दिया है कि आज के माहौल में प्रदूषण मुक्त सांसें लेना एक सपने जैसा लगने लगा है। कुल मिलाकर पर्यावरण संबंधी विषयों को गहराई से समझने के लिए यह पुस्तक बेहद उपयोगी है। किशोरों, युवाओं, शोध छात्रों तथा अपना कैरियर संवारने में सचेष्ट छात्रों के लिए तो यह पुस्तक काफी उपयोगी साबित हो सकती है। पर्यावरण और प्रदूषण के मुद्दे पर पाठकों में जागरूकता पैदा करने के लिए 190 पृष्ठों की इस पुस्तक के लेखक योगेश कुमार गोयल बधाई के पात्र हैं। पर्यावरण को लेकर सहज-सरल भाषा में पाठकों को जागरूक करती यह पुस्तक अमेजॉनडॉटइन पर उपलब्ध है।
https://www.amazon.in/Pradushan-Saansein-Yogesh-Kumar-Goyal/dp/8193716817

— रोहित कौशिक

पुस्तक: प्रदूषण मुक्त सांसें

लेखक: योगेश कुमार गोयल

पृष्ठ संख्या: 190
प्रकाशक: मीडिया केयर नेटवर्क, 114, गली नं. 6, एमडी मार्ग, गोपाल नगर, नजफगढ़, नई दिल्ली-110043
मूल्य: 260 रुपये
समीक्षक: रोहित कौशिक, 172, आर्यपुरी, मुजफ्फरनगर-251001 (उ.प्र.)

योगेश कुमार गोयल

वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार तथा ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’, ‘जीव जंतुओं का अनोखा संसार’ इत्यादि कुछ चर्चित पुस्तकों के लेखक हैं और 31 वर्षों से साहित्य एवं पत्रकारिता में सक्रिय हैं। सम्पर्क: 114, गली नं. 6, वेस्ट गोपाल नगर, एम. डी. मार्ग, नजफगढ़, नई दिल्ली-110043. फोन: 9416740584, 9034304041 ई मेल: [email protected]