कोरोना संकट
कोई कहे राजनीति है,
कोई कहे चल रहा रैकेट है,
कोई कहता है,
फाइप जी रेडिएशन,
तो कोई कहे चीन,
क्रिएशन कोई कहे कुछ,
नही भ्रम है,सब रोते है,
अपना अपना रोना।
पर जिस मॉं ने खोया हो,
अपना लाल,जिस घर का,
आगंन हुआ हो सूना,
वही समझेगा कि,
अटल शाशवत,
सत्य है कोरोना,
अफरातफरी का माहौल,
व्याकुलता छायी,
ये चारो ओर है,
ह्र्दय विदारक चीखे,
मर्मस्पर्शी आहों का,
मचा ये शोर है।
असमजस सी बीमारी,
और वैसा ही इलाज है।
वैक्सिन लगवाये या नही,
उस पर भी प्रतिवाद है।
जल रही चितायें,
लाशो का बाजार है,
आपदा से मचा,
भीषण हाहाकार है,
दवाओ का हो रहा,
कालाबाजार है,
मौत का हो रहा तांडव,
खौफ से पूरी दुनिया,
सरोबार है और डैड बाडीज,
गायब अस्पतालो से,
हो रहा जनता पे,
अत्याचार है फिर भी,
कोरोना बना है प्रश्नचिन्ह,
सच मे है अस्तित्व या,
जनसंख्या कम करने का,
हथियार है।
— चारु मितल