गीत
आज मिटा दो नफ़रत के अहसास को।
मुझमें ज़िन्दा कर दो तुम विश्वास को।
इस जीवन में तुमसे प्यारा कौन है।
आओ हवा से पूछें वो क्यों मौन है।
अक्सीजन दरकार हुई जब साँस को।
रोज़ हवा तरसाये बन्दे ख़ास को।
फूलों में ख़ुश्बू हो फ़ल में स्वाद हो।
जीवन मस्ती करने को आज़ाद हो।
मुझसे अक्सर रूह ये हँसकर कहती है।
तू मेरी साँसों में बहती रहती है।
तूने समझा है बस मेरी प्यास को।
आज मिटा दो नफ़रत के अहसास को।
मुझमें ज़िन्दा कर दो ……..
मेरे गाँव के खेतों की हरियाली में।
नज़र लग गयी बस्ती की खुशहाली में।
पैसे वाले बच जाते हैं आजकल,
महगूँ मर जायेगा इस बदहाली में।
ठुकराना मत तुम मेरी अरदास को।
आज मिटा दो नफ़रत के अहसास को।
मुझमें ज़िन्दा कर दो ……..
साँसों की नाज़ुक डोरी से हो गए।
हम तो अपनी मौत से पहले सो गए।
कौन करे जीवन मृत्यु का फ़ैसला,
अक्सीजन के आज सिलेंडर खो गए।
बस हवा पर है भरोसा आस को।
आज मिटा दो नफ़रत के अहसास को।
मुझमें ज़िन्दा कर दो ……..
— भगवत पटेल