अग्निफेरा
जीवन के नवीन आयाम का निर्माता,
विवाह का सूत्रधार कहलाता है अग्निफेरा।
परवानगी खुशियों की लाता तो कहीं,
ग़मों की सौगातें दे जाता है अग्निफेरा।
कभी पराया कर देता , कभी अपना लेता,
सपनो के होम से आंच पाता है अग्निफेरा।
कहीं चाहतों का सौदा, कहीं प्रतिष्ठा को रौंदा,
खार ख़ुदी बलिदानोंकी पिलाता है अग्निफेरा।
कहीं चांदी में तुलता , कहीं सोने में लुटता,
सर्वस्व लुटा करभी न थम पाता है अग्निफेरा।
आशाओ की सुरसा,प्राणहीन अभिलाषा संग,
अधिकारों से दूरी का जन्मदाता है अग्निफेरा।
खाली पड़े लिफाफे सा, अंतहीन दायरों संग,
खुद की जीवित चिता सजवाता है अग्निफेरा।
आडम्बर से आरंभ ,मिट्टी में मिल जाने तक,
अंतहीन कर्ज कहाँ चुका पाता है अग्निफेरा।
— ज्योति धाकड़