तेरा साथ
हम दोनों का साथ सुहाना
कल क्या होगा किसने जाना
बीती हर बात भुला कर
सपनों को आकार बना कर
जीवन में बस बढ़ते जाना है
आशिकी में जरा संभल कर
चलना
मुश्किल भरा प्यार की राह होते
चांद तारे तेरी मुट्ठीयों में होगी
फलक पर तेरा आशियाना होगा
हजारों चिराग के नूर निकलेगी
गम की परछाइयां तुझे छूना सकेगी
फूल गुलशन में लाखों खिले हैं
मेरी खुशियां मेरी जन्नत तुम ही हो
उम्मीद की नई मंजिल बनकर
— ममता सिंह