गीत
भरी दुपहरी दो दीवाने,
याद करें गीत पुराने,
बैठे ओढ़ पीपल की छांव,
नदी किनारा, प्रेम गांव,
चमकती धूप,झिलमिल पानी,
पीपल पात, हवा रवानी,
मीठी जुगल, खोया युगल,
हंसी ठिठोली नए पुराने,
भरी दुपहरी दो दीवाने।
बीते बरस, लंबा सफर,
अंजान बधे ,बने हमसफर,
कही- अनकही, खट्टी- मीठी,
तीखी अनबन, रसीली बातें,
कठिन पड़ाव,अनेकों ठोकर,
किया सामना एक हो कर,
फुर्सत में अब बुनते ताने,
भरी दुपहरी दो दीवाने।
साथ वही ,प्रारंभ नया,
बीती उमर रंग गया,
गौर वर्ण होकर सफेद,
हर गलती पर मिट्टी डालें,
जिस्म नहीं रूह साथ है,
जीवन अंत, मृदु परिहास है,
बीती बिसार पुनर्जन्म के गाने,
भरी दुपहरी दो दीवाने।
— महिमा तिवारी