कविता

रिश्तों का अपनापन

रिश्तों का अपनापन

प्रेम-राग के गीतों में , ठुनकता अपनापन।
आत्मीय से लबरेज़ अनूठा, झलकता अपनापन।।

गुरुकुल और आनन्दों की वो संगोष्ठियाँ,
बिछुड़े मित्रों की याद में, भावुक अपनापन।।

जन्म-मरण तक साथ का वो अनूठा बन्धन,
माता-पिता के अदभुत प्रेम से,दमकता अपनापन।।

लड़ते-झगड़ते के,बचपन के वो यादें,
भाई-बहिन के साथ से होता,सशक्त अपनापन।।

मिले थे कटु और मीठे संस्कार-फ़ल,
गुरुत्व से होता जग का,सुसंस्कृत अपनापन।।

मनु प्रताप सिंह चींचडौली (काव्यमित्र)

मनु प्रताप सिंह चींचडौली

निवास-जयपुर,राजस्थान पिन कोड 302034 शिक्षा-बीएससी नर्सिंग तृतीय वर्ष