बदलते रिश्ते
कुछ दिनों से अनिता के पति की तबियत खराब चल रही थी। इधर ठंड इस बार कुछ ज्यादा ही पड़ रही थी तो इस ठंड के प्रकोप से कोई भी अछूता नही बचा था। अनिता के पति राजीव पर भी ठंड का असर कुछ ऐसा हुआ कि उनकी सर्दी ठीक होने को नही आ रही थी। रात को भी जुकाम से नाक बंद हो जाती और सांस लेने में दिक्कत हो जाती। कभी इतनी ठंड लगती के वो बहुत देर तक कांपते रहते और फिर बुखार हो जाता । अनिता रात को भी उठकर कभी उन्हें विकस लगाती ।कभी गर्म पानी देती, कभी हीटर चलाती । कभी उनके सिर पर टोपी उतर जाती तो वो पहनाती और कभी उनकी रजाई ठीक करती कि उन्हें ठंड ना लग रही हो और वो आराम से सो जाएं।
थोड़ी सी तबियत ठीक होती तो राजीव तैयार हो कर आफिस चले जाते। अनिता मना करती तो कहते कि मेरे से नही घर पर बैठा जाता और थोड़ी ज्यादा देर लेटा रहूं तो बोर हो जाता हूँ और काम भी तो देखना जरूरी हैं न।उसके बिना तो गुजारा नही ना।
आज भी जब राजीव ऑफिस से आये तो अनिता ने उनके लिए सब्जियों का सूप बना कर रखा। उनके पहनने के कपड़े रख कर हीटर भी चला दिया और उनका बिस्तर भी सेट कर दिया ताकि उन्हें ठंड में किसी चीज के लिए इंतजार ना करना पड़े।
वो फ्रेश हो कर आये तो बिस्तर में ही उन्हें पहले गर्म गर्मसूप दिया और फिर खाना भी लगा दिया।साथ ही टोपी लाकर भी पहना दी कि उनको सिर पर ठंड लग रही होगी।
जब राजीव खाना खा चुके तो अनिता उनके लिए एक कटोरी में गुड़ ले के आयी और खाने के बर्तन उठाने लगी तो राजीव बोले,”अनिता,इधर आओ मेरे पास बैठो”
अनिता ,”क्या हुआ,कुछ चाहिए आपको।आपकी तबियत तो ठीक है ना।
राजीव बोले,”अनिता जब से हमारी शादी हुई है तुमने इस घर को खूब अच्छे से संभाला है। मेरी पत्नी और मेरे बच्चों की माँ होने के हर फ़र्ज़ को बखूबी निभाया है तुमने,और मुझे हमेशां इस बात का गर्व है कि तुम मेरी अर्धागिनी हो।
लेकिन कुछ दिनों से मैं ये महसूस कर रहा हूँ कि तुम मेरी पत्नी के साथ साथ मेरी माँ भी बन गयी हो। जिस तरह एक माँ अपने बच्चे की हर जरूरत का ख्याल रखती है और बच्चे के बिना कहे ही उसके हर दुख तकलीफ को समझ जाती है उसी तरह तुम भी बिना कहे मेरी हर जरूरत को समझ जाती हो। मुझे किस समय क्या चाहिए तुम्हे पहले से ही पता होता है।
अनिता ने जवाब दिया,”आप सही कह रहे हो जी।एक उम्र के बाद पति पत्नी एक दूसरे के माँ बाप ही तो बन जाते हैं। अगर मैं आप की माँ बन गयी हूं तो आप भी तो मेरे बाप बन गए हो। एक बाप की तरह मेरी हर जरूरत का ध्यान रखते हो।जब भी मुझे कुछ चाहिए होता है उसी समय हाजिर कर देते हो।जैसे एक बाप को अपने बच्चों पर विश्वास होता है उसी तरह आप मेरी किसी भी बात के लिए कभी मुझ से जवाब नही मांगते।
— रीटा मक्कड़
बहुत सुंदर लघु कथा . मेरी पत्नी भी ऐसी ही है . सोला वर्ष से मोटर निऊरोन डीज़ीज़ से पीडत हूँ .तब से वोह मेरी देख भाल इस तरह करती है जैसे वोह पत्नी न हो कर एक माँ हो . मैं नहीं जानता कि मैं एक पती का फर्ज़ निभाता रहा हूँ या नहीं लेकिन हम में एक बात तो शुरू से ही रही है,” एक ने कही दुसरे ने मानी, दोनों ब्रह्म गिआनी “