मैं एक लेखक हूं !
हां मैं एक लेखक हूं !
वास्तविकता को अपने शब्दो मैं,
गूथ कर कागज़ पर कुछ यू उतार दिया करता हूं !
बेजान पड़ी चीजों को भी जुबान दिया करता हूं।।
हां मैं एक लेखक हूं!
साहित्यकार का काम होता है,
सच्चा दृष्टिकोण देना हर बात को,
में अपने धीरज और धैर्य से,
रोज नया कुछ लेख उभार देता हूं।।
हां मैं एक लेखक हूं!
नित प्रयास करता हूं कुछ नया लिखने का
रोज एक नया विषय लेकर प्रस्तुत में होता हूं,
लेखनी से में अपनी काल्पनिक को भी
एक वास्तविक आकार देता हूं।।
हां मैं एक लेखक हूं !
कलम में बस्ती है मेरी सांसे,
स्याही को मां सरस्वती का नाम देता हूं,
लिखकर स्याही से में इतिहास हर युग का,
हर घड़ी में साहित्य को सम्मान देता हूं।।
— प्रतिभा दुबे
बहुत सुंदर रचना .