तकदीर
क्यू दोष देता है तू तकदीर को,तस्वीरें भी बदल जाती हैं।
हो गर कुछ करने की चाह तो,मुश्किलें भी झुक जाती हैं।।
कमियां भुला दे अपनी,ले उनसे अब ताकत।
जीत ले दुनियां सारी,भले हो सबसे अब बगावत।।
मेहनत के बल पर मुकद्दर को छीनना पड़ता है।
ख्वाइशों पर कभी सफलता का रंग चढ़ा नहीं करता।।
हे खुदा! उनकी चाह को राह मिले,तो तकदीर बदल जाए।
कर दे उनकी उम्मीदों को मुकम्मल,तो ज़िंदगी में खुशियां भर आए।।
कर्म से ही तस्वीर और तकदीर तय होती हैं।
मनचाही बने वो तस्वीर,अनजाने में बने वो तकदीर होती हैं।।