मुश्किलें आती रहेंगी
तुम्हें मंज़िल चाहिए तो राहों पर चलना होगा,
मजबूर नहीं मज़बूत बनकर चलना होगा,
तुम्हें राहों में मिल जाएंगे गिराने वाले हज़ार,,,
गिर कर ख़ुद-ब -ख़ुद संभलना होगा।।
जो होना है रोशन तो,भीड़ से निकलना होगा।
जब हो उफान पर समंदर तो,उसे भी लांघना होगा।
करो तो करना तुम किरदार पतवार का,,,,
जो ख़ुद तैरेंगी,ओर कश्तियों को पार लगाना होगा।।
आसमां पर एक नया मंजर बनाएंगे,
वहां पर हौसलों से एक शजर बनाएंगे,
मुश्किलें आती रहेंगी,हम लड़ते रहेंगे,,,,
प्रतिकूलता की लहरों पर,जीवट के पुल बनाते रहेंगे।।
Savita J Rajpurohit