अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण पर घोटाले का आरोप- सुनियोजित साजिश
अयोध्या में बहुत ही भव्य व शांतिपूर्वक ढंग से चल रहा भव्य श्रीराम के मंदिर का निर्माण देश के तथाकथित सेकुलर दलों को रास नहीं आया और अब रामभक्तों पर गोली चलाने वाले दलों ने राम मंदिर निर्माण में बाधा डालने का प्रयास करते हुए श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट पर भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व विश्व हिंदू परिषद तथा तमाम संतों की छवि को आम जनमानस के बीच खराब करने व रामभक्तों के बीच संशय व भ्रम पैदा करने के लिए जमीन घोटाला करने का आरोप लगाया है।
आज श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट पर वही लोग आरोप लगा रहे है, जो सत्तर साल से अयोध्या मामले को लटका, अटका व भटका रहे थे। जमीन घोटाले का आरोप लगाकर ये दल सोच रहे हैं कि इससे संघ व विहिप तथा संत समाज की रामभक्तों के बीच छवि को गहरा आघात लगेगा और वह इस प्रकार से यूपी से बीजेपी सरकार को हटाकर अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण को रूकवाने मे सफल हो जायेगा। ट्रस्ट पर जमीन घोटाले के आरोप एक बहुत ही गहरी व सुनियोजित अंतरराष्ट्रीय साजिश है। आम आदमी पार्टी के नेता कभी कहा करते थे कि जहां रामजन्मभूमि का मंदिर है वहां पर शौचालय बनवा दिया जाये। जब से आम आदमी पार्टी की ओर से तथाकथित जमीन घोटाले को उजागर किया है तब से सेकुलर मीडिया लगातार उक्त खबर को चटखारे लेकर खूब दिखा रहा है और यही हाल सोशल मीडिया का भी है। मंदिर निर्माण को किसी भी हालत में रोकने के लिए लगी ताकतें व वामपंथी विचारधारा के बुद्धिजीवी व टूलकिट गैंग अब पूरी ताकत के साथ मोदी सरकार, बीजेपी, संघ, संत समाज व हिंदुत्व की छवि को खराब करने के लिए पूरी ताकत के साथ सक्रिय हो गया है। यह लोग नहीं चाहते कि देश में कोई अच्छा काम हो सके चाहे वह चाहे अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो, दिल्ली में नये संसद भवन का निर्माण हो, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाने की बात हो या फिर सीएए लागू करने की बात हो। यह रामद्रोही, देशद्रोही, वामपंथीं, कांगे्रसी विचारधारा के लोग कतई नही चाहते कि भारत मजबूत हो वह चाहते हैं कि यहां का हिंदू समाज सदा कमजोर बना रहे।
जब से आप नेता संजय सिंह ने जमीन घोटाले का आरोप लगाया है तब लगता है संपूर्ण विपक्ष में एक नयी जान आ गयी है। कांग्रेस राफेल की तरह हरकत में आ गयी और पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठा रही है। विपक्ष चाहता है कि पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच हो। लेकिन अब संघ व तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट भी बचाव में उतर आया है तथा सबूतों व तथ्यों के साथ विपक्षी दलों को सच दिखाया जा रहा है।
ट्रस्ट के महामंत्री चम्पत राय का कहना है कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का परकोटा और रिटेनिंग दीवार को वास्तु के अनुसार सुधारने के लिए मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रियों के आवागमन मार्ग को सुलभ बनाने के लिए खुला मैदान रखने के लिए साथ ही साथ मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए पास पड़ोस के कुछ छोटे-बड़े मंदिर तथा लोगों के मकान खरीदना अत्यावश्यक हैं। जिनसे खरीदा जायेगा उन्हें अन्यत्र भूमि भी दी जायेगी। यहां पर सभी प्रकार के कार्य आपसी संवाद और परस्पर पूर्ण सहमति के आधार पर किये जा रहे हंै। सहमति के पश्चात सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होते हैं।
9 नवंबर 2019 को श्रीरामजन्मभूमि पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने के पश्चात अयोध्या में भूमि खरीदने के लिए देश के असंख्य लोग आने लगे। उप्र सरकार अयोध्या के सर्वांगीण विकास के लिए बड़ी मात्रा में भूमि खरीद रही है। इस कारण अयोध्या में एकाएक जमीनों के दाम बढ़ गये। जिस भूखंड पर चर्चा चलायी जा रही है वह भूखंड रेलवे स्टेशन के पास बहुत प्रमुख स्थान है। ट्रस्ट का कहना है कि उक्त भूमि को खरीदने के लिये वर्तमान विक्रेतागणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबंध किया था उस भ्ूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया। तत्पश्चात ट्रस्ट के पास अनुबंध किया। ट्रस्ट का कहना है कि राजनैतिक विरोधी समाज को गुमराह करने के लिए भ्र्रामक प्रचार कर रहे हैं।
जमीन घोटाले पर कई पहलुओं को छुपा लिया गया है। आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया है कि राम मंदिर के लिए जमीन खरीदने में घोटाला हुआ उन्होंने सबूत पेश किया कि 18 मार्च को दो रजिस्ट्री हुई पहली रजिस्ट्री में कुसुम पाठक, हरीश पाठक ने वह जमीन सुल्तान अंसारी को दो करोड़ में बेंची और फिर पांच मिनट बाद वहीं जमीन विहिप ने 18.5 करोड़ में खरीदी। सदैव की भांति आप ने जो बताया वह अर्धसत्य है। 18 मार्च को दो नहीं तीन अनुबंध हुये। दो जिनका उल्लेख आप ने किया तीसरा वह जिसे वे छिपा गये। असल में ंतीसरा वाला सबसे पहले हुआ था 18 मार्च को। इस अनुबंध के अनुसार कुसुम पाठक, हरीश पाठक का सुल्तान बिल्डर और पार्टनर के साथ दो करोड़ में बेचने का अनुबंध था जो वह निरस्त कर रहे हैं।
अब पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है कि 2019 में पाठक ने यह जमीन दो करोड़ में सुल्तान अंसारी बिल्डर पार्टनर को बेचने हेतु करार नामा किया रजिस्टर्ड, जिसके एवज में पचास लाख रूपये लिये नगद उस समय तक राम मंदिर का फैसला नहीं आया था तो जमीनांे का काफी कम रेट था अयोध्या में। 18 मार्च 2021 को पाठक ने यह करारनामा कैसिंल किया जब तक यह करारनामा कैसिंल नहीं होता तब तक वह किसी को बेच नहीं सकते थे। फिर उस दिन उन्होंने यह जमीन सुल्तान अंसारी बिल्डर को इसी रेट में दो करोड़ में बेची। फिर सुल्तान अंसारी से यह जमीन विहिप ने 18.5 करोड़ में खरीदी। दो साल पहले की बात अलग थी तब दो करोड़ की जो जमीन थी अब अयोध्या में 18.5 करोड़ में होना नेचुरल है। अगर और गहराई में जाया जाये तो पता चलेगा कि यह एक कामन प्रैक्टिस है। बिल्डर तिहाई चैथाई पैसा देकर किसान से लैंड एग्रीमेंट कर लेते हैं। लम्बे समय के लिये फिर वह दूसरी पार्टी खोजते हैं जो उस जमीन को खरीद सकें। किसान ने चूंकि एग्रीमेंट कर रखा है तो वह उसी बिल्डर को उसी रेट में ही बेच सकता है, जिस रेट में पहले से तय है। जैसे ही बिल्डर को पार्टी मिल जाती है या इसी बीच जमीन का रेट बढ़ गया, तो बिल्डर सौदा तय कर देता है पार्टी के साथ। पार्टी की मजबूरी है कि बिल्डर से ही खरीदना क्योंकि बिल्डर का किसान से एग्रीमेंट है। फिर प्रापर्टी को पुराने रेट में खरीदता है और नये रेट में प्रापर्टी को बेंच देता है।
यह एक सामान्य प्रैक्टिस है प्रापर्टी डीलिंग की। जो भी प्रापर्टी का कार्य करते हैं या जो किसान अपनी जमीन बिल्डर को बेंचते हैं आॅरिजिनल पार्टी को वही रेट मिलता है जितना उसने एग्रीमेंट में तय किया होता है ठीक समय पर पैसा फंसाने के एवज में कमाई बिल्डर खाते हैं। यह उनके रिस्क की वसूली होती है तो इस प्रकार से यह केवल मिथ्या आरोप ही लगाया जा रहा है, घोटाला करने का। अब यह बात तो तय हो गयी है कि आज नहीं तो कल यह मुददा भी कोर्ट की दहलीज पर जाना ही जाना है। वहीं से यह प्रकरण राफेल की तर्ज पर दूध का दूध और पानी का पानी हो पायेगा।
शिवसेना नेता संजय राउत का कहना है कि आस्था आहत हो रही है जबकि वास्तविकता यह यह है कि आस्था उस दिन आहत हो गयी थी जब शिवसेना ने हिंदुत्व का चोला उतारकर सेकुलरवादी चोला ओढ लिया था। कांग्रेस नेता श्रीमती प्रियंका गांधी इसे अधर्म बता रही हैं, जबकि यह सब कोई जानता है कि असली अधर्म तो गांधी परिवार व उनकी सत्ता सत्तर साल से करती आ रही है जिसके कारण वह पूरे देश से साफ हो चुकी है। पूरे देश में कांग्रेस नेताओं ने अरबों के जमीन घोटाले कर रखे हैं। प्रियंका गांधी के पतिदेव राबर्ट वाड्रा तो जमीनों के सबसे बड़े सौदागर हैं। गांधी परिवार ने अरबों रुपये की जमीन को दबा लिया है। सेकुलर ताकतें कभी नहीं चाहती थी कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हो सके। समाजवादी पार्टी के हाथ तो हिंदुओं के खून से सने हुए हंै। गांधी परिवार तो सदा से ही आस्था का अपमान करता आ रहा है उसे हिंदुओं के अपमान की चिंता कब से होने लगी?
देश में यह टूलकिट गैंग की नयी राजनीति की शुरूआत हो चुकी है। किसी न किसी प्रकार से हिंदू समाज के मन की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जाये, यही सेकुलर ताकतों की फिरकत है। यह लोग सोच रहे हैं कि ऐसा करके वह बीजेपी को हराकर राम मंदिर के अस्तिव व नारे को अलविदा कहकर अपना मुगलिया राज स्थापित करने मे सफल हो जायेेंगे। अयोध्या के राम मंदिर तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की जमीन खरीद पर उठ रहे सवाल पर की गयी कड़ियां ऐसी हैं जिससे विपक्ष के आरोप पर झोल नजर आ रहा है। जमीन का सौदा करने वाले प्रापर्टी डीलर सुल्तान अंसारी के ताल्लुकात समाजवादी पार्टी से भी गहरे रहे हैं। उसकी कई तस्वीरे सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और स्वयं पवन पांडेय के साथ भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। आज वही लोग राम मंदिर जमीन घोटाले का आरोप लगा रहे हैं जिनकी कभी भगवान श्रीराम के प्रति आस्था कभी नहीं रहीं।
यह एक संयोग ही है कि आप नेता ने यह आरोप तब लगाया जब अरविंद केजरीवाल गुजरात में अपनी पार्टी का कार्यालय खोलने के लिए गुजरात गये थे और वहां पर वह पीएम मोदी व अमित शाह जी को हर हाल में हराने की बात कह रहे थे। आप नेताओं ने करोड़ों रामभक्तों की आस्था पर आघात किया है और उनकी अवमानना की है। ये सभी आरोप मुस्लिम तुष्टिकरण की ंभावना से ओतप्रोत है। इन आरोपों से आज यदि कोई सबसे अधिक खुश हो रहा है तो मुस्लिम समाज है। यह आरोप हिंदू समाज को गुमराह करने के लिए है, लेकिन अब समय आ गया है कि हिंदू समाज एकजुट होकर पूरी ताकत के साथ ऐसी विनाशक मनोवृत्ति के राजनैतिक दलों को उनकी जगह और असलियत बता दे।
— मृत्युंजय दीक्षित