सामाजिक

विदा के समय स्नेह स्वरूप देने का चलन विलुप्तता की ओर

घर से दूर जाते वक्त रिश्तेदार ,अपने बच्चों को घर के बुजुर्ग द्वारा जब बाहर जाते समय  ये बोलकर कुछ रुपए देते है कि रास्ते में भूख लगे तो कुछ खा लेना या फिर रखले ।इसमे मनुहार छुपी होती है।यदि जिसको देते उसके साथ कोई बड़ा हो तो वो ये जरूर कहता रहने दो।इतने मत दो ।इससे प्यारा तोहफा दुनिया में कुछ और हो ही नहीं सकता।देखा जाए तो ये मदद,आशीर्वाद,स्नेह, ममत्व भरे रूप की सदियों से प्रथा चली आ रही थी।वर्तमान में आधुनिक युग मे ये विलुप्तता  कगार पर है।डिजिटल ट्रांजिक्शन ने इसे कम कर दिया।जिसके कारण जो ममत्व भाव भी बड़ो से आशीर्वाद स्वरूप मिलता था।वो छूटता जा रहा है।जो बिदाई के वक्त देने का महत्व की बात ही कुछ और रहती है।यदि इसका प्रयोग करके देंखेंगे तो लेने वाले और देने वाले भले ही करोड़पति हो,उनकी आँखों मे आँसू टपक ही पड़ेगे।ये व्यवहार रिश्तों को मजबूत और मर्मस्पर्शी बनाता है।इसका चलन बरकरार रखना होगा ताकि रिश्तों में स्नेह का स्वरूप निखरता रहे।
— संजय वर्मा”दॄष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /[email protected] 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच