बाल कहानी – नन्हा टॉबी
टॉबी का नाम यूं तो मोहित था मगर उसे सारे लोग टॉबी कहकर बुलाते थे।टॉबी को ये बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती।वो अक्सर ही अपनी मम्मी से शिकायत करता,
क्या आप मेरा नाम बदल नहीं सकतीं मम्मी। मुझे टॉबी नाम बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
मगर उसकी मां नीलू हमेशा ही उसकी बात को हंस कर टाल देती थी। टॉबी को लगता कोई भी उसकी बातों पर ध्यान नहीं देता है।न ही कोई उसे प्यार करता है।
उसकी बहन प्रिया का तो कितना सुंदर नाम है प्रिया! उसे तो सब कितने प्यार से बुलाते हैं और उसे कोई कुछ भी नहीं कहता।
जबकि मुझे घर के सारे लोग टोकते रहते हैं।टॉबी तुमने पानी फर्श पर फैला दिया,टॉबी तुमने गीला टॉवल सूखने नहीं डाला।
टॉबी तुम अपने जूते -चप्पल जगह पर नहीं रखते।
प्रिया को तो कोई ऐसे नहीं कहता प्रिया दीदी भी तो गलतियां करती ही है।
एक दिन उसकी मम्मी नीलू की बहुत अच्छी सहेली, उनसे मिलने के लिए गुजरात से दिल्ली आयी। उसका बेटा शोभित बहुत प्यारा था और बहुत अच्छी – अच्छी बातें भी करता था।जल्दी ही टॉबी की शोभित से दोस्ती हो गयी।
अब शोभित और टॉबी साथ- साथ घूमने जाते और साथ ही साइकिल चलाने भी जाने लगे।
जब शोभित पार्क में साइकिल चला रहा था तभी उसने देखा कि टॉबी उदास होकर पार्क में गुमसुम सा बैठा है। उस दिन उसने साइकिल भी नहीं चलाई।
तब शोभित ने टॉबी से पूछा,
डिअर टॉबी,आज तो तुम कुछ उदास दिखाई दे रहे हो।
बताओ क्या बात है?
शोभित के बहुत पूछने पर टॉबी ने कहा कि आज फिर मम्मी ने मुझे डांटा ,मम्मी कभी भी प्रिया दीदी से कुछ नहीं कहती हैं मगर मुझसे ही बोलती रहती हैं।क्या मैं अच्छा बच्चा नहीं हूं।
शोभित ने जब उसकी बात सुनी तो तुरंत ही समझ गया कि टॉबी के दिल में प्रिया दीदी के लिए थोड़ी ईर्ष्या आ गयी है।
उसने तुरंत ही टॉबी को समझाया,टॉबी दोस्त ऐसा नहीं सोचते, प्रिया दीदी भी सीखते हुए या पढ़ते हुए गलतियां करती है। तब उनकी भी डांट पड़ती है और तुम ऐसा क्यों सोचते हो कि तुम्हें डांटा गया ।तुम्हें समझाने के लिए ही प्रिया दीदी या नीलू आंटी कुछ कहती हैं ताकि अबकी बार तुम जब वो काम करो तो पूरी सावधानी से करो और तुम अभ्यस्त हो जाओ हर काम को अच्छी तरह से करने में ।
तुम अगर सब काम अच्छे से करना सीख जाओगे तब तुम्हें ही खुद कोई परेशानी नहीं होगी। आगे चलकर जीवन में तुम सब कुछ ठीक तरह से कर सकोगे।
तभी टॉबी और शोभित ने देखा कि उन दोनों की मम्मियां भी ठीक उनके पीछे खड़ी हुईं थीं और वे सारी बातें सुन रहीं थीं।
वे दोनों शोभित की बात सुनकर बहुत खुश हुईं। उन्होंने शोभित और टॉबी दोनों की ही खूब प्रशंसा की।तभी टॉबी ने देखा कि प्रिया दीदी उनके लिए बोतल में जूस बनाकर लायी हैं।
जब प्रिया ने टॉबी को जूस पीने के लिए दिया तब टॉबी को लगा कि मेरी दीदी मेरा कितना ध्यान रखती हैं और मम्मी पापा भी मुझे कितना प्यार करती हैं।
मुझे भी शोभित की तरह ही सोचना चाहिए और कभी भी आपस में ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
— अंशु प्रधान