अपनी कोई भी पुरानी चीज़ उठाकर देखिये,
लुत्फ कितना आएगा बस आज़माकर देखिये ।
ज़िन्दगी में रंग कितने यूँ समझ में आएगा,
कोई भी नग्मा पुराना ख़ुद ही गाकर देखिये ।
मिल सकेगा तुमको भी लाखों दिलों का प्यार यूँ ,
बस किसी के जख्मों को मरहम लगाकर देखिये ।
कैसे अश्क़ों से भरा है आजकल हर आदमी,
हो सके काँधे पे उसका सर टिकाकर देखिये ।
हँसते हैं जो लोग किसी की मौत पर यूँ ही अबस,
कह दो कोई सपनों में अपना गँवाकर देखिये ।
— हर्ष महाजन ‘हर्ष’