गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

शाम ढले सब दर्द के मारे निकलेंगे
शम्अ जलते ही परवाने निकलेंगे
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जाने कैसे कैसे चेहरे निकलेंगे
अपने होकर भी अनजाने निकलेंगे
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मेरे जैसे तो होंगे बस एक या दो
बाकी तो सब ऐसे वैसे निकलेंगे
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जिक्र छिड़ेगा जब बातों ही बातों में
खट्टे मीठे कितने किस्से निकलेंगे
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दिल के पन्ने आज पलटकर देखो तो
दर्द भरे कितने अफसाने निकलेंगे
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आँखों की दहलीज़ पे कबसे ठहरे हैं
आँसू तो इक मौका पाते निकलेंगे
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सुनकर एक सदा हम उसकी प्यार भरी
करके सारे दर्द किनारे निकलेंगे
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देखेंगे नींदों की गलियों में जाकर
बिखरे बिखरे कितने सपने निकलेंगे
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मुस्काते चेहरों को पढ़कर देखें तो
दर्द उन्हीं में ज्यादा गहरे निकलेंगे
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टूट नहीं सकते मुश्किल में घबराकर
करके सब मंजूर खसारे निकलेंगे
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जीवन में उलझन चाहे जितनी आये
उनके भी हल हँसते हँसते निकलेंगें

रमा वर्मा

श्रीमती रमा वर्मा श्री प्रवीर वर्मा प्लाट नं. 13, आशीर्वाद नगर हुड्केश्वर रोड , रेखानील काम्प्लेक्स के पास नागपुर - 24 (महाराष्ट्र) दूरभाष – ७६२०७५२६०३