कैलाश पर्वत क्षेत्र पर एक माह में 2 वर्ष 6 माह की जिंदगी गुजर जाती है !
कैलाश मानसरोवर को भगवान शिव का निवास स्थल माना जाता है। कहा जाता है कि इस पर्वत पर भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। जो भी इस पर्वत पर आकर उनके दर्शन कर लेता है उसका जीवन पूरी तरह से सफल हो जाता है। इस पावन स्थल पर हर साल लाखों श्रद्धालु मन में सिर्फ ये आस लिए आते हैं कि शिव के साक्षात दर्शन मात्र से उनके सारे कष्ट मिट जाएंगे। कैलाश पर्वत को धरती का केंद्र कहा जाता है, जहां धरती और आकाश एक साथ आ मिलते हैं।
कहते हैं कि कैलाश पर्वत के ठीक ऊपर स्वर्ग और ठीक नीचे धरती (मृत्युलोक) हैं।
‘परम रम्य गिरवरू कैलासू,
सदा जहां शिव उमा निवासू।’
पौराणिक और प्रसिद्ध कथाओं के अनुसार मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत भगवान शिव का धाम है। आप ये तो जानते होंगे की कैलाश पर्वत पर भगवान शिव अपने परिवार के साथ रहते हैं पर ये नहीं जानते होंगे की वह इस दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी पर्वत हैं । कहा जाता है कि अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है।
कैलाश पर्वत भारत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षस ताल झील है। इस पवित्र पर्वत की ऊंचाई 6714 मीटर है। ऊंचाई के मामले में कैलाश पर्वत, विश्व विख्यात माउंट एवरेस्ट से ज्यादा विशाल तो नहीं है, लेकिन कैलाश की भव्यता उसके आकार में है। ध्यान से देखने पर यह पर्वत शिवलिंग के आकार का लगता है, जो पूरे साल बर्फ की चादर ओढ़े रहता है। कैलाश पर्वत अमरनाथ यात्रा पर जाते समय रास्ते में आता हैं। तिब्बत की हिमालय रेंज में स्थित हैं।
कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसके आधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक मार्ग हैं किंतु उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थान से अस्ककोट, खेल, गर्विअंग, लिपूलेह, खिंड, तकलाकोट होकर जानेवाला मार्ग अपेक्षाकृत सुगम है।
इसके एक ओर उत्तरी, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है। यहां एक ऐसा केंद्र भी है जिसे एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी अर्थात दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र। यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है, जहां दसों दिशाएं मिल जाती हैं। रशिया के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी वह स्थान है, जहां अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं।
यह पर्वत पिरामिडनुमा है। इसके शिखर पर कोई नहीं चढ़ सकता है। यहां 2 रहस्यमयी सरोवर हैं- मानसरोवर और राक्षस ताल। यहीं से भारत और चीन की बड़ी नदियों का उद्गम होता है। यहां निरंतर ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की आवाज सुनाई देती है लेकिन यह आवाज कहां से आती है? यह कोई नहीं जानता। दावा किया जाता है कि कई बार कैलाश पर्वत पर 7 तरह की लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी गई हैं। जब सूर्य की पहली किरण इस पर्वत पर पड़ती है, तो यह स्वर्ण-सा चमकने लगता है।
कैलाश पर्वत की तलहटी में 1 दिन होता है 1 माह के बराबर ! इसका मतलब यह है कि 1 माह ढाई साल का होगा। दरअसल, वहां दिन और रात तो सामान्य तरीके से ही व्यतीत होते हैं लेकिन वहां कुछ इस तरह की तरंगें हैं कि यदि व्यक्ति वहां 1 दिन रहे तो उसके शरीर का तेजी से क्षरण होता है अर्थात 1 माह में जितना क्षरण होगा, उतना 1 ही दिन में हो जाएगा।
इसे इस तरह समझें कि यदि सामान्य दिनों की तरह हमारे नाखूनों को हम 1 माह में 4 बार काटते हैं तो हमें वहां 1 दिन में 4 बार काटने होंगे। हाथ-पैर के नाखून और बाल अत्यधिक तेजी से बढ़ जाते हैं। सुबह क्लीन शेव रहे व्यक्ति की रात तक अच्छी-खासी दाढ़ी निकल आती है।
कैलाश पर्वत पर कंपास काम नहीं करता यहाँ आने पर दिशा भ्रम होने लगता है, यह जगह बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव है। लेकिन ये जगह बेहद पावन, शांत और शक्ति देने वाली है!
कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका सिर्फ एक बौध लामा को छोड़कर … ऐसा भी अनुभव होता है कि कैलाश की परिक्रमा मार्ग पर एक ऐसा खास पॉइंट आता है, जहां पर आध्यात्मिक शक्तियां आगे बढ़ने के विरुद्ध चेतावनी देती हैं। वहां तलहटी में तेजी से मौसम बदलता है। ठंड अत्यधिक बढ़ जाती है। व्यक्ति को बेचैनी होने लगती है। अंदर से कोई कहता है, ‘यहां से चले जाओ।’ जिन लोगों ने चेतावनी को अनसुना किया, उनके साथ बुरे अनुभव हुए। कुछ लोग रास्ता भटककर जान गंवा बैठे। कहते हैं कि सन् 1928 में एक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ही कैलाश पर्वत की तलहटी में जाने और उस पर चढ़ने में सफल रहे थे। मिलारेपा ही मानव इतिहास के एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें कि वहां जाने की आज्ञा मिली थी।
भगवान शिव का निवास स्थल ये कैलाश पर्वत खुद की तलहटी में कई रहस्य छुपाये है।
कैलाश पर्वत से जुड़े कई ऐसे विचित्र रहस्य हैं जिसे आज तक दुनिया का कोई भी इंसान पता नहीं लगा पाया है। कैलाश मानसरोवर का नाम संस्कृत भाषा के दो शब्दों, मानस और सरोवर के संगम से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर. कैलाश पर्वत को पृथ्वी का केंद्र स्थल भी माना जाता है। चूँकि ये पर्वत मानसरोवर झील के नजदीक स्थित है इसलिए इसका नाम कैलाश मानसरोवर पड़ा है।
समुद्र तट से लगभग 22068 फुट की ऊंचाई में बना कैलाश पर्वत हिमालय के उत्तरी दिशा में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन की सीमा के अंतर्गत आता है अतः ये भी कहा जा सकता है कि भारत की आस्था का प्रतीक कैलाश मानसरोवर को पाने के लिए चीन की दीवार भी लांघना पड़ता है।
कैलाश मानसरोवर का एक और तिलिस्मी रहस्य भी है जिसके बारे में आज तक आप अनजान होंगे। क्या आपको पता है कि शिव के समीप ले जाने वाला ये पर्वत आज तक शिव की सच्चे भक्त की तलाश में है। जी हाँ आपने बिलकुल सही पढ़ा कैलाश मानसरोवर इतिहास रहा है कि कोई भी इंसान आज तक इस पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच पाया है। धार्मिक गुरु ये तक बताते हैं कि जो भी शिव के उस निवास स्थल तक पहुँच जाएगा उसे साक्षात शिव के दर्शन होंगे और वो शिव का सच्चा भक्त कहलायेगा।
आज तक कोई भी इंसान कैलाश पर्वत की चोटी पर कभी नहीं पहुंचा। जो भी गया है या तो उसने अपनी ज़िन्दगी को खत्म कर लिया या फिर हार मान कर वापस लौट आया। शिव के निवास स्थल से पहले भी काफी खतरनाक और ऊँची-ऊँची चोटियां पड़ती हैं जहां तक कुछ लोग पहुँचने में सफल भी हुए मगर आज तक शिव के चरणों तक कोई नहीं पहुँच पाया है।
— अनोखे लाल द्विवेदी