अपना ख्याल रखना
जालिम है जमाना अपना ख्याल रखना
लबों पे मुस्कुराहट लहू में उबाल रखना
क्या भरोसा इस कदर बदलते मौसम का
घर में तुम नमक, चावल और दाल रखना
कांटे चुभे या फिर फूल सजे हों राहों पर
हर हाल में होश-ओ-हवास संभाल रखना
पत्थर दिल पिघल जाएंगे गांधी के तरीके से
सामने उनके अपना दूसरा भी गाल रखना
ज़माने की झूठी रंगीनियाँ भरमाएंगी बेशक
उसूलों से भरी अपनी चाल ढाल रखना
हिंदू ईद और मुसलमान दीवाली मनाये
फ़िरकापरस्तों का जीना यूं मुहाल रखना
आसां नहीं मुहब्बत के नगमे गुनगुनाना
जब भी गाओ तो ज़रूर सुर ताल रखना