सुबह सवेरे
मुर्गा ने देखो बांग लगाई
जल्दी-जल्दी छोड़ो रजाई
सुबह सवेरे आंखें खोलो
मन के सारे तालें खोलो
माता-पिता के चरण छूकर
आगे बढ़ो यही रीत चलाई
कुदरत ने देखो सुन्दर सुंदर
संसार में हर चीज बनाई
हरे भरे पेड़ पौधे सारे
रंग बिरंगे फूल बनाई
चिड़िया चहकती हर डाली
तितलियां फूलों पर मंडराई
चूहें बिल्ली भालू बंदर सबने
तरह तरह के खेल दिखाई
पढ़ाई करों सभी मन लगाकर
नहीं तो गुरु की छड़ी से होंगी पिटाई.
— ममता सिंह