कविता

बढते दुष्कर्म

क्यों दुष्कर्मों की फैली ये चिंगारी है ,
तभी मुश्किल में आज की नारी है ।

क्यों ये पिशाच बने हवस के शिकारी हैं ,
तभी शर्मसार हुई आज की नारी है।

क्यों ये जुल्मी मजहब के प्रहारी हैं,
तभी मुसीबत में आज की नारी है ।

क्यों ये इंसान बने हैवानी हत्यारी है,
तभी बदनाम हुई आज की नारी है ।

जब भी किसी लड़की को कुचला जाता, ये जग भी हमेशा खूब शोर मचाता,
व्हाट्सएप इंस्टा फेसबुक पे केवल RIP के स्टेटस से मन बहलाता।

यूं ही नया दौर आता जाता है, और हर  इंसान चुप्पी साध जाता है ,
कभी प्रियंका कभी ट्विंकल को अखबार सुर्खियों में सजाता है।

जब दरिंदों ने हाथ डालने से पहले उम्र का लिहाज न गंवारा,
तो सरकार इंसाफ करने से पहले क्यों करती है उम्र का बंटवारा।

सरकार क्यों कोर्ट की तारीखों को आगे बढाती जाती हैं,
न जाने कैसे इन जुल्मियों को मेहमान बना पाती है।

इन तारीखोें की दूरी को अब तुम लांघ दो,
कानून को बदल इन दोषियों को सीधा सूली पर टाँग दो।

कल फिर इक नई कहानी हेडलाइन में आएगी,
आखिर कब तक सरकार ये दास्तान देख पाएगी।

यदि इस सिलसिले को बंद करना हैं तो हम सबको प्रण लेना होगा,
इन जल्लादों की महफिल को जमने से पहले रोकना होगा।

क्या हुआ इन जुल्मियों की संख्या हजार है,
हम भी तो देशवासी करोड़ों में आबाद हैं।

यदि हर हिंदुस्तानी के दिल में ये अलग जग जाएगी,
तो देखना उस दिन हर लड़की अपने को महफूज पाएगी।

— शालू मिश्रा नोहर

शालू मिश्रा नोहर

पुत्री श्री विद्याधर मिश्रा लेखिका/अध्यापिका रा.बा.उ.प्रा.वि. गाँव- सराणा, आहोर (जिला-जालोर) मोबाइल- 9024370954 ईमेल - [email protected]