कुण्डली/छंद

कुण्डलियाँ

:1:
खाली करिए राजपथ, जनता है बेहाल ।
घर में सब ही कैद हैं, जीना हुआ मुहाल ।।
जीना हुआ मुहाल, जाम सड़कों पर पाएं ।
ये सब ढलती शाम, टेन्ट में पिज्ज़ा खाएं ।
कहे जैन कविराय, ये धरने वाले जाली ।
सख़्ती करके आप, कराओ जन-पथ खाली ।।

:2:
सच की हर इक राह पर, कांटों की भरमार ।
सत्य कभी नहीं हारता, झूठा बारम्बार
झूठा बारम्बार, वो अपनी साख गिराए ।
सभी फेरते आँख , न कोई गले लगाए ।
कहे जैन कविराय, झूठ की फूटे मटकी ।
छाती चौड़ी तान,अदाएं देखो सच की ।।

:3:
बच्चे सक्षम हो गए, वृद्ध हुआ है बाप ।
बच्चों ने उनको कहा, बहुत कर चुके आप ।।
बहुत कर चुके आप, हमारी अब है बारी ।
रखो भजन में ध्यान, कटे हँस दूजी पारी
कहे जैन कविराय ,सभी हों ऐसे सच्चे ।
वे घर हों खुशहाल , जहाँ हों ऐसे बच्चे ।।

— अशोक जैन

अशोक जैन

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