कविता

आया है पावन त्यौहार

महज नहीं ये एक धागा है निहित इसमें बहन का प्यार
नेह  पगा  भैया  का रिश्ता  प्यारी  बहना का  मनुहार
बहुत बड़ा अनमोल है रिश्ता मान सदा इसका रखना
पावन  है  संस्कृति   हमारी  अद्भुत  मेरा  है  संस्कार
ले कर आती बहन दुलारी थाल सजा भाई  के द्वार
सच्चे हृदय से करती है तन  मन धन भाई पे निसार
रोली चंदन अक्षत पावन ले आई बहना मनभावन
रंग बिरंगे सूत्र पिरो कर ले आता त्योहार ये सावन
जब आता  है रक्षा बन्धन मन सबका हरषाता  है
कच्चे डोरी का बन्धन ले जब जब सावन आता है
पावन सावन ले आया है भाई बहन का शुभ दिन आज
नेह प्रेम  स्नेह  पगा  है  निर्मल  धागों  का  ये  ताज़।
भाई करता  है एक वादा पीछे कभी ना जाऊंगा
जान हथेली पर ले बहाना इज्ज़त तेरी बचाऊंगा।
बहना   अपने  हृदय  हमने  रिश्ता  तेरा  सजाया है
शुचि गंगा के धार सा निर्मल छवि को तेरी बसाया है!!
— मणि बेन द्विवेदी

मणि बेन द्विवेदी

सम्पादक साहित्यिक पत्रिका ''नये पल्लव'' एक सफल गृहणी, अवध विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर एवं संगीत विशारद, बिहार की मूल निवासी। एक गृहणी की जिम्मेदारियों से सफलता पूर्वक निबटने के बाद एक वर्ष पूर्व अपनी काब्य यात्रा शुरू की । अपने जीवन के एहसास और अनुभूतियों को कागज़ पर सरल शब्दों में उतारना एवं गीतों की रचना, अपने सरल और विनम्र मूल स्वभाव से प्रभावित। ई मेल- [email protected]