राखी
सावन की पूर्णमासी को आती है राखी,
भाई-बहन के प्यार का त्योहार है राखी।
रोली अक्षत का टीका बहन लगाए भाई को।
लम्बी उम्र की दुआ माँगती भगवान से ये राखी,
मैं तेरी रक्षा करुँगा, साथ हमेशा तेरे रहूँगा।
वादा करता भाई बहन से, बँधवा कर राखी,
मान बढ़ाया उनका देकर स्वंय का अस्थि वज्र,
देवताओं ने मुनि दीधिची को जब बाँधी राखी।
भेदभाव सब भूलकर आन बचायी बहन की,
कर्मवती ने हुमायूँ को जब बाँधी राखी।
कच्चे धागों से बनी पक्की डोर है राखी,
संसार का सबसे पवित्र धागा है ये राखी।
— अरुणा कुमारी राजपूत ‘राज’