कहानी

आरक्षण

अमित कॉलेज से निकला ही था अब एक नई डगर और एक नई मंजिल उसका इंतजार कर रही थीं उसे पता था कि अब वह पास तो हो चुका है पर आगे की मंजिल बहुत कठिन है, उसने अपने मां-बाप से कहकर कोटा में एडमिशन ले लिया। अमित के साथ दो तीन लड़के और थे.।सभी फ्रेंडस एक ही रूम में रहते थे.। अमित अपने दोस्तों के साथ बहुत मजे से अपनी पढ़ाई कर रहा था। पर वह अपने घर के हालात से वाकिफ था ..वह .एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण उसे बहुत मेहनत करनी है,वह अच्छी तरह से जानता था,उसके पिताजी एक मामूली टीचर हैं, अब उनके रिटायरमेंट का समय बहुत पास आ गया था,और घर उसके सिवा पांच लोग और हैं,कमाने वाला एक को खाने वाले 6 लोग। वह यह जानता था कि उसके पिता बहुत मुश्किल से उसको पढ़ा रहे हैं

अमित पर अपने घर वालों का बहुत फ्रेशर था, घर के सब लोगों कि उम्मीद अमित पर टिकी थी,.वह यह बात जनता था,वह बहुत मन लगाकर अपनी पढ़ाई तो कर ही रहा था..।. उसके सभी दोस्त एक साथ पढ़ाई करते थे…और सब एक साथ कोचिंग भी जाते थे ।

बाकी दोस्तों के घर से पैसे आते हैं उनके पास कोई भी पैसा नहीं रहता था..इसलिए वह बाहर बहुत ही कम जाया करता था…। वह दोस्तों को कुछ ना कुछ बहाना बनाकर टाल देता, धीरे-धीरे उसने अपने खर्चों को निकालने के लिए पास ही में एक ट्यूशन कर लिया। अमित को सिर्फ पढ़ाई से मतलब रहता थावह बाकी फिजूलखर्ची नहीं करता था। दोस्त उसको बहुत बाहर ले जाने के लिए जबरदस्ती करते पर वह मना कर देता,अमित का समय बीत रहा था धीरे-धीरे की परीक्षाएं नजदीक आती जा रही थी, अमित ने अब ट्यूशन पढ़ाने जाना बंद कर दिया….। अमित का अब पूरा ध्यान पढ़ाई पर था, अमित जहां ट्यूशन पढ़ाने जाता था, वह शर्मा जी बहुत अच्छे थे.. उन्होंने अमित से कहा बेटा मेरे यहां एक कमरा खाली हैं तुम उस में रह लो… अमित के मना करने पर भी उन्होंने उसको जबरदस्ती अपने यहां रख लिया, शर्मा जी जानते थे कि अमित बहुत गरीब परिवार से हैं, अमित का दोस्त राहुल जो एक अमीर परिवार से था, उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता था. वह अपने पिता के पैसों पर ऐश कर रहा था. राहुल के घर से अक्सर पैसे आ जाते थे. राहुल अपने दोस्तों के साथ पार्टी करता था. पर अमित अब शर्मा जी के घर पर रहने लगा था.वह अपनी पढ़ाई दिलो जान से कर रहा था।

राहुल ने एक दिन अमित को फोन किया और बोला अब तुम हम दोस्तों को भूल गए हो, अमित ने कहा ऐसी बात नहीं है,दोस्तों को कभी भुलाया जा सकता हैं, यार तुम लोगों का क्या है तुम लोगो तो रिजर्वेशन मिला हुआ है, नंबर कम भी आएंगे तब भी तुम्हारा एडमिशन हो ही जाएगा। अमित कहते कहते रोने लगा, मेरे पिताजी एक मामूली से मास्टर हैं, हम सबका बोझ उन्ही के कंधों पर है, आज अगर मैं पढ़ाई नहीं करुँगा तो मेरा सलेक्शन नहीं होगा। मेरे पापा के पास इतना पैसा नहीं है कि वह दोबारा मेरी फीस जमा कर सके, तुम्हारा क्या है , अगर नहीं भी हुआ तो तुम्हारे पापा के पास तो बहुत पैसा है। तुम लोग कोई बिजनेस भी कर लोगे, हमारे यहां कमाने वाला एक है और खाने वाले 6 लोग है मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से बिलॉन्ग करता हूं। अमित बोलता जा रहा था उसकी आंखों से आंसू कहते जा रहे थे. एग्जाम पास आने की वजह से वह बहुत नर्वस भी हो चूका था. अमित इतना बोल कर अपने कमरे में चला गया. और फोन काट दिया.।.आज उसका मन पढ़ने में नहीं लग रहा था, बहुत देर तक वह अपनी बेबसी पे रोता रहा,कब उसे नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला..।

दूसरे दिन वह जब सो के उठा तो वह आपने आपको तरोताजा और अच्छा महसूस कर रहा था, अमित अब अपने दोस्तों से मिलना बंद कर देता है,”नीट कि परीक्षा” कि तैयारी में जुट जाता है.।

आज उसे अपने पापा और भाई बहन की बहुत याद आ रही थी, शर्मा जी से अपने पिताजी को फोन लगाने के लिए कहता हैं, शर्मा जी अमित के पिता जी से बात करते हैं और उसकी तारीफ करते ना थकते हैं, अमित के पिता भी बहुत ही सहज और शालीनता से शर्मा जी कि बातो को सुनते है और उनके अभिवादन को स्वीकार करते हैं,और बहुत ही विनम्रता से अपने बच्चे पर ध्यान देने के लिए बोलते हैं,शर्मा जी बोलते हैं इसमें भी कोई कहने की बात हैं आपका बच्चा बहुत ही होनहार है मेरे लिए तो यह मेरा ही बच्चा है, इतना कहकर वह अमित को फोन पकड़ा देते हैं अमित भी अपने पिता जी से बात करता है सबका हालचाल लेता हैं और वह फोन रख देता है, शर्मा जी अमित से कहते हैं किसी चीज की जरूरत हो तो बताना बेटा, अमित धीरे से सर हिला देता है और बोलता हैं जी अंकल ….।

शर्मा जी कि पत्नी सुनीता भी अमित का बहुत ख्याल रखती थीं, अमित शर्मा जी के घर में अब घर जैसा माहौल मिल रहा था.

वह अपनी पढ़ाई करता और शर्मा जी के बच्चे को भी कुछ देर पढ़ा देता था, अब परीक्षा शुरू हो गई थी, अमित रात रात भर जाग कर परीक्षा की तैयारी करता था , और अपनी परीक्षा देता, वह अपनी परीक्षा से बहुत खुश था उसके पेपर बहुत ही अच्छे गए थे, शर्मा जी भी कभी कभी अमित से बात कर लिया करते थे ,जैसे उनका खुद का बेटा पेपर दे रहा हो,अमित भी पूरे संतोष और आत्मविश्वास के साथ में जवाब देता अंकल मेरा पेपर बहुत अच्छा गया है. और सच में अमित का पेपर बहुत अच्छा गया था उसने बहुत लगन से अपनी परीक्षा की तैयारी की थी.

आज सुबह से अमित बहुत बेचैनी से घूम रहा था आज नीट का रिजल्ट आना था, वह शर्मा जी के पास ही बैठा था जब रिजल्ट आया, वह बहुत उत्साह से रिजल्ट देख रहा था, शर्मा जी भी बहुत बेचैनी से उसके रोल नंबर तलाश रहे थे,पर आज अमित अंदर से बहुत बेचैन होके अपने रोल नंबर को देख रहा था,शर्मा जी ने बड़े प्यार से उसके कंधे पर हाथ रखकर सहलाया बेटा तू परेशान ना हो तुम्हारा जरूर होगा, आज तुम्हारी मेहनत जरूर रंग लाएगी शर्मा जी पूर्ण विश्वास से बोले, शर्मा जी अमित का रोल नंबर देखने लगे, अमित के हाथ पैर ठंडे होने लगे थे, वह कांपने लगा. जब उसे अपना रोल नंबर नहीं दिखा तो उसने शर्मा जी को अपने दोस्तों के रोल नंबर दिया.।

राहुल और उसके दोस्तों का रोल नंबर शर्मा जी पेपर में देखने लगे, यह क्या ! शर्मा जी चौक गए जब उसके सभी दोस्तों का रोल नंबर था उनको सीटें मिल चुकी थी, अमित का सर चकराया और वह बेहोश होकर जमीन पर धड़ाम से खड़ा गिर पड़ा. शर्मा जी ने अपनी पत्नी को घबराए हुए आवाज दी सुनीता सुनीता जल्दी आओ, सुनीता सुनीता दौड़ते हुए आती है अमित को जमीन पर पड़ा देख कर चौक जाती है वह जल्दी से अमित के हाथ पैरों को मलने लगती हैं पर अमित के शरीर में कोई हलचल ना हो रही थी शर्मा जी ने अपने पड़ोसी हेमंत को भी बुला लिया फोन करके अब शर्मा जी और हेमंत अमित को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे. डॉक्टर ने पूरा चेकअप करने के बाद अमित को मृत घोषित कर दिया. शर्मा जी की आंखों से आंसू बह रहे थे, वह अब अपने आप को रोक नहीं पा रहे थे. शर्मा जी ने हेमंत को अमित के पिता दीक्षित जी का नंबर दिया, फोन करने को कहा, हेमंत ने दीक्षित जी को फ़ोन करके हॉस्पिटल बुलाया अमित के पिता दीक्षित जी भी घबरा कर पूछने लगे क्या हुआ, हेमंत जी ने उन्हें बस ये कहा आप जल्दी से जल्दी कोटा पहुँचिये, तब तक अमित के दोस्त भी आ गए, पर अमित अब मर चूका था, मेडिकल में उसका ना होने की वजह से और अपने दोस्तों का कम नंबर पर भी उनका हो जाने की वजह से उसे हार्ट अटैक आया था. सब रो रहे थे, दोस्त तो दोस्त ही होते हैं आरक्षण नहीं, उसके दोस्त भी हॉस्पिटल में सारी रात उसकी बॉडी के पास रहते हैं

दूसरे दिन अमित के पिता कोटा पहुंच जाते हैं, अमित कि लाश को देख कर बेहोश हो जाते हैं, शर्मा जी ने और कॉलोनी के और लोगों ने उनको संभाला और जब वह होश में आते हैं तो चिल्ला चिल्ला कर रोने लगते है मेरी सारी जमा पूजी लूट गई हाय ..मै जी के अब क्या करुँगा,वह रोते-रोते बेहोश हो जा रहे थे। कॉलोनी और कोचिंग में अमित के लिए मातम छा गया था। सबकी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे।

आज सभी लोग आरक्षण के लिए लड़ रहे हैं। पर कोई नहीं जानता एक मध्यमवर्ग परिवार अपने बच्चों का किस तरह से अपना पेट काट कर पढ़ाता है,क्या सामान्य जाति के बच्चे गरीब नहीं होते है उनको आरक्षण और आर्थिक सुविधाएं क्यों नहीं देती हैं सरकार,एक प्राइवेट स्कूल का टीचर कि कितनी सैलरी होती है 20,000 से 25,000, उसी में वह अपने बच्चों कि पढ़ाई और अपने परिवार का पेट पालता है और उसके बाद भी उनके बच्चों को आरक्षण से लड़ना पड़ता है।

अमित आज आरक्षण की भेंट चढ़ चुका था, दीक्षित जी की पूरी दुनिया लुट चुकी थी, शर्मा जी कि आंखों से आंसू बह रहे थे ये आंसू आक्रोश के आंसू थे, इस तरह बहुत से बच्चे मेहनत करने के बाद भी आरक्षण की वजह से भर्ती नहीं हो पाते है..

आरक्षण जाति के आधार पर नहीं होना चाहिए, सरकार पिछड़े वर्ग या अनुसूचित जनजाति को आर्थिक मदद करें पढ़ने के लिए…। आप किसी का हक छीन कर किसी को नहीं दे सकते.. आरक्षण एक कैंसर हैं जो बढ़ता ही जा रहा है।

— साधना सिंह स्वप्निल

साधना सिंह "स्वप्निल"

गोरखपुर में मेरा ट्रांसपोर्ट का बिजनेस है, मेरी शिक्षा लखनऊ यूनिवर्सिटी से हुई है, मैंने एम ए सोशल वर्क से किया है, कंप्यूटर से मैंने डिप्लोमा लिया है