वो शिक्षक कहलाते हैं
प्यार-दुलार, संस्कार है देते,
वो शिक्षक कहलाते हैं।
अंत:शक्ति जगा, देते आकार,
वो शिक्षक कहलाते हैं।।
अज्ञानी मन को तपा-तपा,
सूरज सा वे चमकाते हैं।
प्रकाश दिखाते अंधकार में,
उत्तम शिक्षक कहलाते हैं।।
अनगढ़ पत्थर को प्रयास से,
पत्थर पारस बना देते हैं।
स्वच्छता, साक्षरता बढ़े देश में,
जागरूकता क्रांति ला देते हैं।।
पुस्तक और लेखनी की शक्ति,
जग ज़ाहिर करवा देते हैं।
बेटी शिक्षा, जन-जन शिक्षा,
जग सारा शिक्षा मय बना देते हैं।।
न हों समाज में अनपढ़ बच्चे ,
वे पुस्तक हाथ थमा देते हैं।
देश को पल-पल आगे लाते,
वो शिक्षक कहलाते हैं।
— आसिया फ़ारूक़ी