साक्षर होने का अर्थ है खुद के सम्मान के प्रति जागरूक
(अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 08 सितम्बर विशेष)
साक्षरता का अर्थ, मनुष्य के साक्षर अर्थात पढ़ने – लिखने की क्षमता से होता है किंतु, साक्षरता मनुष्य के पढ़े-लिखे होने के साथ-साथ सम्मान, अवसर और विकास से जुड़ा विषय है। जिससे व्यक्ति अपने साथ-साथ अपने परिवार, समाज और देश के विकास में सहायक सिद्ध हो सके। साक्षर व्यक्ति ही समाज और देश को तरक्की तक ले जा सकता है क्योंकि, विकास तक पहुंचने वाली सीढ़ियों को समझने की क्षमता साक्षरता में ही निहित होती है।
साक्षरता के महत्व को याद दिलाते रहने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक वर्ष “अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस”(world literacy day, ILD) भारत के साथ-साथ पूरे विश्व में ‘8 सितंबर’ को मनाया जाता है। भारत में ‘राष्ट्रीय साक्षरता मिशन’ के अनुसार, अपने नाम को लिखने और पढ़ने की योग्यता रखने वाले व्यक्ति को साक्षर माना जाता है।
यह दिवस पूरे विश्व में शिक्षा की एक खास विषय – वस्तु, कार्यक्रम और लक्ष्य के साथ मनाया जाता है। प्रत्येक वर्ष इस दिन एक विशेष लक्ष्य अथवा थीम को आधार रखा जाता है जैसे, वर्ष 2007 और 2008 का विषय ‘साक्षरता और स्वास्थ्य’ था। जिसमें शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गई थी।
2021 ILD की थीम “मानव केंद्रित पुनर्प्राप्ति के लिए साक्षरता: डिजिटल विभाजन को कम करना”(theme 2021 “literacy for a human-centered recovery narrowing the digital divide”) के तहत मनाया जाएगा।
अगर हम विश्व की साक्षरता की बात करें तो, विश्व की साक्षरता 57% के आसपास है। विश्व में सबसे ज्यादा साक्षरता नार्वे, स्वीडन, अमेरिका जैसे देश की साक्षरता 95 – 100% तक है। वहीं भारत की बात की जाए तो, भारत की कुल साक्षरता 74.4% है जिसमें, केरल सबसे ज्यादा साक्षर वाला राज्य है, जहां 93% जनसंख्या साक्षर है। वही सबसे कम साक्षरता वाला राज्य बिहार है, जिसकी कुल साक्षरता 63.5% है।
1966 में शुरू किए गए साक्षरता के अभियान में 1990 तक कोई निरीक्षक ना् रहे, का संकल्प लिया गया, जो 1995 तक चलाया गया किंतु, पिछड़े देशों में भारत का भी नाम था। भारत में साक्षरता का स्तर वांछित पैमाने तक नहीं पहुंच पाया। साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनाएं जैसे -सर्व शिक्षा अभियान, प्रौढ़ शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन चलाए गए। बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा पर भी विशेष जोर दिया गया। यहां तक कि जो लोग शिक्षित होने के लिए किसी बाधा के कारण शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते शिक्षा उनके घर तक पहुंचाई गई।
वर्तमान के आधुनिकता के इस स्मार्टफोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधन के दौर में शिक्षा प्राप्त करना बहुत ही आसान हो गया है।बस आवश्यकता है तो, व्यक्ति की इच्छाशक्ति और लग्न की। क्योंकि कटु सत्य ही है कि,किसी भी देश को विकासशील देश बनाने के लिए उस देश का साक्षर होना बहुत ही आवश्यक है। अन्यथा निरक्षरता के चलते साधन सामने होते हुए भी पतन निश्चित है। इसके साथ ही साक्षरता एक सभ्य समाज और देश का निर्माण करती है। तथा सभी देशों की धर्म, सभ्यता और संस्कृति को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होती है।
अतः यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि, साक्षरता ही मनुष्य जीवन के विकास, सभ्यता, संस्कृति का आधार है, इन सब के अभाव में मनुष्य पशु समान है। हम सभी को अंतरराष्ट्रीय विश्व साक्षरता दिवस के महत्व को समझते हुए खुद के सम्मान को समझने के साथ-साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करना चाहिए।
— लक्ष्मी सैनी